उपराष्ट्रपति ने छात्रों मे जिज्ञासा, नवाचार और उत्कृष्टता की भावना को बढ़ावा देने का किया अनुरोध

उपराष्ट्रपति श्री एम. वेंकैया नायडु ने आज पूरे देश के विद्यालयों से छात्रों में जिज्ञासा, नवाचार और उत्कृष्टता की भावना को बढ़ावा देने का अनुरोध किया, जिससे वे तकनीक संचालित 21वीं सदी के विश्व की चुनौतियों के लिए तैयार हो सकें।

श्री नायडु ने रटने वाली पढ़ाई को छोड़ते हुए शिक्षा के लिए भविष्यवादी दृष्टिकोण अपनाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा, “सबसे अच्छा कौशल, जो विद्यालय आज छात्रों को प्रदान कर सकते हैं, वह अनुकूलन क्षमता है।” उपराष्ट्रपति ने विद्यालयों से छात्रों को आत्मचिंतन करने और अत्याधुनिक तकनीकों का उपयोग करके नवाचार करने को लेकर प्रशिक्षित करने के लिए कहा।

उपराष्ट्रपति ने आगे कहा कि उनकी इच्छा है कि विद्यालय एक मूल्य-आधारित समग्र शिक्षा प्रदान करने पर ध्यान केंद्रित करें, जो “हर एक छात्र में महान क्षमता और उच्चतम गुणों” का विकास करे। उन्होंने उल्लेख किया कि “मूल्यों के बिना शिक्षा, शिक्षा न मिलने के समान है।”

उपराष्ट्रपति ने विद्यालयों में शिक्षा के माध्यम के रूप में मातृभाषा के महत्व को रेखांकित किया। श्री नायडु ने कहा, “हमें छात्रों को अपने सामाजिक परिवेश में अपनी मातृभाषा में स्वतंत्र रूप से बोलने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए। जब हम स्वतंत्र रूप से और गर्व के साथ अपनी मातृभाषा में बात कर सकेंगे, उस समय ही हम अपनी सांस्कृतिक विरासत की सही मायने में सराहना कर सकते हैं।”

उपराष्ट्रपति ने चेन्नई के पास स्थित वीआईटी ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस की एक पहल-वेल्लोर इंटरनेशनल स्कूल का उद्घाटन किया। अपने संबोधन में श्री नायडु ने एक बच्चे के शुरुआती वर्षों के दौरान स्कूली शिक्षा के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने इस पर अपनी चिंता व्यक्त की कि छात्र पारंपरिक शिक्षा प्रणाली के तहत कक्षा की चारदीवारी में अधिकांश समय बिता रहे हैं। उन्होंने छात्रों को “बाहर के संसार का अनुभव करने – प्रकृति की गोद में समय बिताने, समाज के सभी वर्गों के साथ बातचीत करने और विभिन्न शिल्प व व्यापार को समझने” के लिए प्रोत्साहित करने का आह्वान किया।