कैसा महिला दिवस और किसका महिला दिवस ?

राम वशिष्ठ (फिल्मकार)-

आज अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस हैं । सुबह ही बधाई दी थी और पुनः एक बार बधाई । लेकिन एक विचलित करने वाली खबर है महिला दिवस पर । देहरादून मेडिकल कॉलेज अस्पताल में एक दम्पति ने अस्पताल प्रबंधन पर बच्चे की अदला बदली का आरोप लगाया हैं ।

दम्पति का दावा है कि पहले नर्स ने बताया था कि लड़का पैदा हुआ है और फिर बदल कर लड़की पकड़ा दी गई । जिसके साथ बच्चा बदलने का आरोप हैं उनका भी यही आरोप हैं कि उनका बच्चा पहले बदल दिया गया था मगर अब वापस मिल गया है । मामले ने तूल पकड़ा तो महिला आयोग की अध्यक्ष और अन्य सदस्य भी वहां पहुँच गई । कहने का मतलब ये है कि दोनों ही दम्पति कह रहे हैं कि उनका बच्चा लड़का है और वो दोनों ही लड़की को अपनाने के लिए तैयार नहीं है । यहां तक कि वो दोनों महिलाएं (प्रसूताएं) बच्ची को दूध पिलाने को तैयार नहीं है । महिला आयोग की सदस्यगणों की गुहार के बाद बड़ी मुश्किल से एक ने मानवता के नाते एक बार दूध पिला दिया लेकिन दोबारा के लिए मना कर दिया ।

अब जब महिला दिवस के दिन ऐसी घटना पढ़ने सुनने को मिले तो यही लगता है कि यह महिला दिवस , नारी सम्मान , बेटी बचाओ – बेटी पढ़ाओ , मेरी बेटी मेरा अभिमान जैसे नारे बस बाते हैं , रस्म अदायगी है । एक दुधमुंही नवजात बच्ची को जब कोई स्वीकार करने को तैयार नहीं तो क्या फायदा ये सब ढोंग रचाने का ? आखिर सच्चाई तो यह है कि किसी एक को यह बेटी पैदा हुई है, लेकिन दोनों बेटे का दावा कर रहे हैं । अस्पताल प्रबंधन पर भी बहुत से सवाल है ।

वैसे डीएनए टेस्ट से मामला सुलझ सकता है लेकिन सवाल यह है कि ऐसा हुआ क्यों ? सवाल है कि उस मानसिकता का क्या करे जिसके कारण यह नवजात बच्ची अनचाही हो गई ? अगर सरकार ने प्रसव पूर्व लिंग परीक्षण पर रोक नहीं लगायी होती तो यह मानसिकता इस बच्ची की जन्म से पूर्व ही हत्या कर चुकी होती । लेकिन दुःखद कि यह मानसिकता प्रसव पूर्व लिंग जाँच पर लगी रोक से हारी नहीं है बल्कि पैसे के लालचियों के साथ मिलकर नवजात बच्ची को अनाथ करने पर आमादा है ।

इस मानसिकता के साथ कैसा महिला दिवस और किसका महिला दिवस ? और अंत में यही कहूंगा कि यह मामला पहला नहीं है और यह आखिरी भी नहीं है । बस एक अनुरोध आपसे , विचार कीजिए और समझिए कि यह एक खतरनाक मानसिकता है , खत्म करने का प्रयास कीजिए । तभी सार्थक होगा महिला दिवस की शुभकामनाएं देना ।