“मेरी एक जेब में ‘ब्राह्मण’ हैं और एक जेब में बनिया हैं”– मुरलीधर राव (मध्यप्रदेश भा० ज० पा०-प्रभारी)

★ आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय

मुरलीधर राव

आपको यहाँ जो पहला चित्र दिख रहा है, उसका नाम ‘मुरलीधर राव’ है। इसका चेहरा देखिए; कितना बीभत्स दिख रहा है! ‘म्लेच्छ’ लग रहा है! इसका नाम ‘मुरलीधर राव’ है। जातीय नज़रिय: से देखा जाये तो राव ‘डोम’ और ‘हलख़ोर’, ‘मेहतर’ यानी ‘निम्नतम स्तर के सरकारी दलित’ होते हैं। हाँ, एक अलग क़िस्म के ‘राव’ उच्चवर्गीय भी होते हैं।

संस्कारविहीन मुरलीधर राव ने एक सार्वजनिक मंच से कहा है, “मेरी एक जेब में ब्राह्मण हैं और एक जेब में ‘बनिया’ हैं।

“तो सुन मुरलीधर! आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय तुझे ललकारता है– अगर तूने सचमुच ‘अपनी माँ’ का दूध पिया है तो तू ‘एक ही ब्राह्मण’ यानी ‘मुझे’ अपनी जेब में रखकर दिखा दे। मैं जन्म से ब्राह्मण तो हूँ ही, ‘कर्म’ से भी हूँ। तू मत भूल! ब्रह्मर्षि भृगु ने भगवान् विष्णु के सीने पर पादप्रहार करने से पूर्व कोई विचार नहीं किया था; महर्षि अगस्त्य और दुर्वासा के चरित्र से यदि अवगत न हो तो दिल्ली विश्वविद्यालय में कार्यरत उन प्राध्यापकों से पूछ ले, जो आये-दिन भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता बनकर ‘न्यू इण्डिया की मोदी-सरकार’ की कुनीतियों को ढकते आ रहे हैं। मुरलीधर राव मध्यप्रदेश भारतीय जनता पार्टी का प्रभारी बताया जाता है और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ का सक्रिय कार्यकर्त्ता भी।

उल्लेखनीय है कि यह अपने ही दल भारतीय जनता पार्टी के अनेक सांसदों और विधायकों को ‘नालायक़’ कह चुका है। इसने क्षत्रियों के लिए भी अनुचित बातें कही थीं।

सांसद पकौड़ीलाल कोल और अनुप्रिया पटेल

दूसरा चित्र एक ऐसे नेता का है, जिसने अपनी अस्ली औक़ात को समझे-बूझे ही बिना ब्राह्मण-क्षत्रियों के लिए अपमानजनक शब्दों के प्रयोग किये थे। स्मरणीय है कि ‘अपना दल’ के सोनभद्र (उत्तरप्रदेश) के एक निम्न (नीच) जाति के सांसद ने पिछले अक्तूबर-माह में एक सार्वजनिक मंच से ‘ब्राह्मण-क्षत्रियों’ के लिए अपशब्द के प्रयोग किये थे। उस उद्धत और जाति-कर्म से महानीच सांसद का नाम ‘पकौड़ीलाल कोल’ है।

ब्राह्मण-क्षत्रियों के प्रति जब उसके कुकथन सार्वजनिक हुए थे तब ‘ब्राह्मण-क्षत्रियों’ ने जिस आक्रोश की अभिव्यक्ति की थी, उससे ‘अपना दल’ की नेत्री ‘अनुप्रिया पटेल’ के पाँवतले ज़मीन धँसकने लगी थी, फिर अनुप्रिया को सार्वजनिक रूप से क्षमायाचना करनी पड़ी थी और पकौड़ीलाल कोल की चड्ढी सरक आयी थी। वह आज भी माफ़ी माँग रहा है, जिसपर ‘ब्राह्मण-क्षत्रिय’ आज तक पदप्रहार करते आ रहे हैं। जिस दिन ऋषि दुर्वासा की भृकुटि टेढ़ी हुई, तेरा ‘अमंगल’ समय आ उपस्थित होगा।

तू ही नहीं, जो भी जातीय वैमनस्य फैलाने और जातीय अपशब्द प्रयोग करने का काम करेगा, उसके लिए कुछ भी शुभ नहीं होगा।

(सर्वाधिकार सुरक्षित– आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय, प्रयागराज; ९ अक्तूबर, २०२१ ईसवी।)