अन्तत:, ऐतिहासिक ‘अविश्वास-प्रस्ताव’ इमरान ख़ान की सरकार को ले डूबा!

★ आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय

पाकिस्तान की संसद् ‘मजलिस-ए-शूरा’ मे १० अप्रैल को भारतीय समयानुसार विलम्ब रात्रि के १२ बजकर ४१ मिनट पर इमरान ख़ान के विरुद्ध अविश्वास-प्रस्ताव पर मतदान आरम्भ करा दिया गया था। मतदान-प्रक्रियाएँ दो बार बाधित हुईं; अन्तत: भारतीय समयानुसार विलम्ब रात्रि के १ बजकर २१ मिनट पर और पाकिस्तानी समय के अनुसार विलम्ब रात्रि के १ बजे बहुचर्चित अविश्वास-प्रस्ताव को १७४ मतों से पारित कर, उनकी सरकार को बहुत बुरी तरह से पराजित किया गया है। इसकी औपचारिक घोषणा पाकिस्तान की संसद् मे भारतीय समयानुसार विलम्ब रात्रि के १.३० बजे की गयी थी। इस प्रकार १७४ मत अविश्वास-प्रस्ताव के समर्थन मे १७४ और विरोध में ० (शून्य) मत पड़े थे; अर्थात् सर्वसम्मति से १,३३२ दिनो से शासन करती आ रही इमरान ख़ान की सरकार का तख़्ता पलट कर दिया गया।

इमरान ख़ान की पार्टी ‘पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ़’ (न्याय के लिए आन्दोलन) के सभी सांसद् सदन से बाहर आ चुके थे (यहाँ ‘जा चुके थे’ अशुद्ध है।)। एक प्रकार से उन्होंने अविश्वास-प्रस्ताव पर मतदान का बहिष्कार किया था; क्योंकि उन्हें पहले से ही भान हो चुका था कि इमरान ख़ान की सरकार को किसी भी सूरत मे बचाया नहीं जा सकेगा। इस प्रकार सदन मे केवल विपक्षी दलों के सांसद मौजूद थे, जो अविश्वास-प्रस्ताव पर मतदान कर रहे थे।

इधर, अविश्वास-प्रस्ताव पर मतदान की प्रक्रियाएँ आरम्भ की जा रही थी, उधर इमरान ख़ान निजी सामान और सहयोगियों के साथ प्रधानमन्त्री का आवास ख़ाली कर, अपने निवासस्थान जा चुके थे। वे अच्छी तरह से समझ चुके थे कि उनकी सरकार को कोई भी ताक़त नहीं बचा सकती। पाकिस्तान की अवाम भी जान चुकी थी कि इमरान की सरकार गिर जायेगी। इतना ही नहीं, इमरान ख़ान को मालूम था कि उसकी सरकार गिर जायेगी, इसलिए इमरान की दोस्त और उनकी पत्नी बुशरा बेग़म की सहेली कहलानेवाली ‘फ़रहा’ को अकूत धनराशि के साथ फ़रार करा दिया गया था, जिससे इमरान के मुश्किलात बढ़ने की आशंका बलवती हो चुकी है। इस प्रकार इमरान ख़ान अब पाकिस्तान के ‘निवर्तमान प्रधानमन्त्री’ बन चुके हैं। इमरान उस परम्परा से जुड़ चुके हैं, जिसमे आज तक कोई भी प्रधानमन्त्री अपने पाँच वर्षों की अवधि पूरी नहीं कर सका है।

आगामी ११ अप्रैल को शहबाज़ शरीफ़ को पाकिस्तान का नया प्रधानमन्त्री बनाया जा सकता है, जो नवाज़ शरीफ़ के भाई हैं और ‘पाकिस्तान मुसलिम लीग्– नवाज़’ (पी० एम० एल०– एन०’ के प्रमुख नेता भी। उन्हें अविश्वास-प्रस्ताव जीतने के बाद सदन को सम्बोधित करने के लिए आमन्त्रित किया गया था। शहबाज़ शरीफ़ के वक्तव्य में गम्भीरता दिखी। उन्होंने कहा, “हम किसी से बदला नहीं लेंगे। हम बेगुनाहों को जेल नहीं भेजेंगे। हम क़ानून के रास्ते मे भी नहीं आयेंगे।” उसके बाद बिलावल भुट्टो को विचार प्रस्तुत करने के लिए उन्हें आवाज़ दी गयी। उन्होंने कहा, “अब हम पुराने पाकिस्तान मे आ गये हैं। हमने नया इतिहास बनाया है।”

सम्भावित मन्त्रिपरिषद् मे कौन किस विभाग को सँभालेगा, यह भी तय कर लिया गया है। ईद-बाद भूतपूर्व पाकिस्तानी प्रधानमन्त्री नवाज़ शरीफ़ अपने विदेश-प्रवास से वापस आ सकते हैं।

अब देखना है, छ: राजनैतिक दलों के साथ किये गये गठबन्धन को लेकर पाकिस्तान के नये प्रधानमन्त्री और उनकी मन्त्रिपरिषद् कितने समय तक महफ़ूज़ (सुरक्षित) रह सकेगी; क्योंकि हारे हुए जुआरी की शक़्ल मे दिख रहे इमरान ख़ान किसी ‘शकुनि’ की तलाश मे जुट जायेंगे, इससे हम इंकार भी नहीं कर सकते।

ताज़ा हालात यह है कि शहबाज़ शरीफ़ को सर्वसम्मति से ‘नेता’ चुन लिया है। इमरान के शासनकाल मे नियुक्त किये गये उच्चपदस्थ अधिकारियों के त्यागपत्र देने का सिलसिला शुरू हो चुका है।

(सर्वाधिकार सुरक्षित– आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय, प्रयागराज; १० अप्रैल, २०२२ ईसवी।)