आशीष सागर (पत्रकार एवं समाजसेवी)-
गांव गाजीपुर ग्राम पँचायत खलारी में बीते 2 नंवबर को रात साढ़े नौ बजे पहुंचकर पहाड़िया खेरा, तातुल माता के मंदिर रात्रि विश्राम किया गया । गंवई भोजन के साथ रतजगा हुआ !
भोर इसी गांव में ग्राम प्रधान सुमनलता के पति अध्यापक यशवंत पटेल के साथ ग्राम चौपाल लगी । बातों ही बातों में गांव के 164 बीपीएल परिवारों ने पिछले एक साल से कोटेदार के माध्यम से किये गए खाद्यान्न घोटाले की परत खुल गई । अतिगरीब लोगो को उनके ही राशन कार्ड पर सरकारी आनाज गोलमाल किया जा रहा है । गांव के 80 गरीबी रेखा के नीचे जीवन बसर करने वालों ने कोटेदार को खरी खरी सुनाई । मौके पर बाँदा डीएम से द्रष्टान्त संपादक ने बात की तो उन्होनें बाँदा आकर प्रकरण रखने की बात कही । ग्राम प्रधान ने बतलाया कि 2011 के बीपीएल सूची अपडेट नही की गई है । गाँव में तमाम फर्जी बीपीएल भी है ये तय है ! इस लिस्ट में कई संपन्न परिवार के लोग भी शामिल है जो बीपीएल नही रह गए है । उनके पास जमीन, ट्रैक्टर,नौकरी आदि है इसकी भी जांच होनी चाहिए । बाँदा आकर डीएम महेंद्र प्रताप सिंह के समक्ष पीड़ित लोगों ने अपनी बात रखी । डीएम ने जांच के आदेश करते हुए एक सप्ताह में रिपोर्ट मांगी है । बतलाते चले कि प्रदेश और बुन्देलखण्ड में कोटेदारों की तरफ से ऐसे खाद्य घोटाले व्यापक स्तर पर किये जा रहे है । काश डीएम या सीडीओ,एसडीएम सप्ताह में एक दिन ही चौपाल लगाकर ग्रामीण जन की बात सुने तो ये नौबत न आये । गांव में 90 वर्ष के बिना छत बुढ़ापा काटने वाले बुजुर्ग की आपबीती इस पोस्ट के बाद सामने रखी जायेगी । डिजीटल इंडिया के विज्ञापनी दौर में यदि विधायक,सांसद सम्मान यात्रा ,संवाद के बजाय गांव में नियमित बैठक करते तो प्रदेश, देश बहुत आगे होता । ब्यूरोक्रेसी में ग्राम प्रधान,सचिव,लेखपाल ये ऐसे पद है जो बिना कमीशन खोरी के एक काम नही करते है । गांव में फैला जातिवाद, मुंह दिखाई से शिकायत करने की व्यथा और एकता का अभाव ही ऐसे मुद्दे रखे हुये हैं ।