लघुकथा : आश्चर्य

सौरभ कुमार ठाकुर 

आज सुबह जितेश का फ़ोन आया; हिमांशु ने फ़ोन रिसीव किया बोला: हेल्लो, क्या हालचाल जितेश, कैसे हो ? जितेश बोला; क्या भाई तबियत खराब है ?”भाई जितेश तुम अब बार-बार बिमार कैसे हो जाते हो ?” हिमांशु ने पूछा ! “भाई याद है मुझे आज भी वह दिन जब मैं बच्चा था और गाँव में रहता था । कोई डर नहीं, कोई गम नहीं । जो मन में आया खाया, खेला ! कभी बीमार नहीं होता था । पर आज शहर में रहता हूँ, हर पंद्रह दिन पर बीमार हो जाता हूँ । आज भी वही खाना खाता हूँ, जो गाँव में खाता था । गाँव में कुएँ और चापाकल का पानी पीता था पर आज मिनिरल वॉटर पीता हूँ । फिर भी मैं बिमार हो जाता हूँ ।

“एक बात समझ नहीं आती गाँव के मुकाबले शहर में सेहत का ध्यान अच्छे से रखता हूँ, फिर भी यार हर पंद्रह-बीस दिन पर बीमार हो जाता हूँ, जितेश बोला ! “हिमांशु उसकी बातों को सुनकर आश्चर्य में पड़ा रह गया…! “और अंत में कुछ सोचकर बोला; “हाँ यार बात तो सही है ।”

– सौरभ कुमार ठाकुर (बालकवि एवं लेखक) पता: ग्राम- रतनपुरा, डाकघर-गिद्धा, थाना- सरैया, जिला- मुजफ्फरपुर, राज्य- बिहार, देश- भारत, पिन कोड- 843106 सम्पर्क- 8800416537 ईमेल- saurabhkumarthakur00926@gmail.com

(मैं प्रमाणित करता हूँ की उपरोक्त लघुकथा स्व-रचित तथा मौलिक है और इसे मैं प्रकाशन हेतु आपको प्रेषित कर रहा हूँ ।)