मोहब्बत का अहसास

मोहब्बत का अहसास होता ही रह गया, पता नही मैं कब तक सोता ही रह गया ।
मोहब्बत किया था मैंने उससे एक दफा, पर कहने की हिम्मत जुटाता ही रह गया ।
दिल में तो मेरे काफी ख्याल थे उसके लिए, पर आज या कल कहूँ सोचता ही रह गया ।
जगाना था प्यार भरा भाव उसके दिल में, मैं तो उसके दिल में विष बोता ही रह गया ।
है मोहब्बत की उस राह पर खड़ा, सौरभ,अहसास मोहब्बत का करता ही रह गया ।
कभी जीता था मैं उस माशुका के प्यार में,उसी के प्यार में आज मैं रोता ही रह गया ।
पाना था उसकी मोहब्बत को मुझे किसी पल,प्रतिदिन मोहब्बत उसकी खोता ही रह गया ।
अहसासों में उसे ढूँढ़ता फिर रहा हर गली, ना चाहते हुए भी हर-पल मरता ही रह गया ।

सौरभ कुमार ठाकुर बाल कवि एवं लेखक ग्राम-रतनपुरा, डाकघर-गिद्धा, थाना-सरैया, जिला-मुजफ्फरपुर, राज्य-बिहार, देश-भारत, पिन कोड- 843106मो0- 8800416537