सीएचसी का अपर स्वास्थ्य निदेशक ने किया औचक निरीक्षण

अनिमितताओं के चलते जिम्मेदारों को लगाई कड़ी फटकार

कछौना, हरदोई। कछौना क्षेत्र में स्वास्थ्य सेवाओं का बुरा हाल है। डॉक्टरों की नियमित उपस्थित न होना, अस्पताल में दवाओं का टोटा, जांच के नाम पर प्राइवेट पैथोलॉजी की भरमार, महिलाओं को प्रसव के नाम पर निजी अस्पतालों को रिफर करना, अस्पताल परिसर में गंदगी का अंबार समस्याओं से आजिज आकर आम आदमी सरकारी अस्पताल में रामभरोसे इलाज कराने को मजबूर है।

ग्रामीण क्षेत्र में स्वास्थ्य सेवाओं की सेहत जानने के लिए अपर स्वास्थ्य निदेशक डॉ० जी०एस० बाजपेई ने शुक्रवार को औचक निरीक्षण किया। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र व स्टाफ के उपस्थित हेतु लगाई गई बायोमेट्रिक मशीन को जानबूझकर खराब किए जाने पर कड़ी नाराजगी जताई। प्रभारी अधीक्षक ने कोविड-19 महामारी का कारण बताया, जिस पर उन्होंने कहा कोविड प्रोटोकॉल का बहाना न बनाएं, इसे तत्काल शुरू कराना सुनिश्चित करें। इस निरीक्षण के दौरान एक अनुपस्थित मिले। वही विकासखंड कछौना में दो प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र टिकरी व गौरी खालसा पर प्रभारी चिकित्सा अधिकारी भी नदारद मिले। बाबू उपस्थिति रजिस्टर पर एडवांस हस्ताक्षर मिले, जबकि वह निरीक्षण के दौरान हरदोई में थे। इस घोर लापरवाही पर जिम्मेदार के खिलाफ ठोस कार्रवाई की बात कही। गर्भवती महिलाओं के इलाज हेतु ओटी का निरीक्षण किया, जिसमें मौजूद स्टाफ नर्स से आवश्यक सामग्री दिखाने पर सही उत्तर नहीं दे सकीं। इसके बाद टीकाकरण कक्ष का निरीक्षण किया। वैक्सीन भंडारण की उपस्थित जानी, टीकाकरण की सही रिपोर्टिंग जिम्मेदार नहीं बता सके। अस्पताल परिसर में जगह-जगह कूड़े के ढेर व झाड़ी उगी होने पर कड़ी नाराजगी जताई। स्टोर रूम में दवाओं का रखरखाव सही नहीं पाया। बिना डिमांड के दवाएं वितरण पर फार्मासिस्ट को कड़ी चेतावनी लगाई। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र कछौना में एक्सरे टेक्नीशियन की तैनाती है, परंतु एक्सरे मशीन न होने पर मरीजों को काफी असुविधा होती है। इस समस्या को लेकर अपर स्वास्थ्य निदेशक ने बताया शासन से शीघ्र बजट की स्वीकृति मिलते ही एक्सरे मशीन मुहैया कराई जाएगी।

सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र कछौना में एचसीएल फाउंडेशन द्वारा अल्ट्रासाउंड मशीन उपलब्ध कराई गई। परन्तु उसका उपयोग न किए जाने के कारण धूल खा रही है। जिसके कारण गर्भवती महिलाओं को काफी परेशानी उठानी पड़ती है। ज्यादातर डॉक्टरों द्वारा बाहर से दवाएं धड़ल्ले से लिखी जाती हैं। मेडिकल स्टोर संचालक डॉक्टरों को मोटा कमीशन देते है। ज्यादातर जांचे भी बाहर से लिखी जाती है, जिससे मरीजों का जमकर आर्थिक शोषण किया जाता है। ग्रामीण क्षेत्र में स्वास्थ्य उपकेंद्र हेल्थ वेल्स सेंटर भी कागजों पर संचालित है। विभागीय अधिकारियों की अनदेखी के चलते लाखों रुपए के बजट का बंदरबांट किया जा रहा है। आम नागरिक को बेहतर इलाज न मिल पाने के कारण झोलाछाप डॉक्टरों व दाइयों की शरण में जाने को विवश है। मिली जानकारी के अनुसार कई स्वास्थ्य कर्मी कभी ड्यूटी पर नहीं आते हैं। लड़ाई झगड़े में आने वाले गरीब लोगों से मेडिकल रिगल फीस के नाम पर जमकर अवैध वसूली की जाती है। ज्यादातर स्वास्थ्य कर्मी बिना ड्रेस व नेम प्लेट के रहते हैं। जिससे जनता भी भृमित रहती है। उसकी आड़ में अनुप्रशिक्षित लोग भी मरीजों का इलाज के नाम पर बाहर की दवाएं लिखकर शोषण करते हैं। ग्रामीणों के अरमान पर स्वास्थ्य विभाग पानी फेर रहा है। जिससे सरकार की छवि खराब हो रही है। वहीं झोलाछाप डॉक्टरों व प्राइवेट अस्पताल चांदी काट रहे हैं। निरीक्षण के दौरान डॉक्टर व स्वास्थ्य कर्मी हलकान रहे।

रिपोर्ट – पी०डी० गुप्ता