भगवान विश्वकर्मा जयंती पर मनकामेश्वर मठ मंदिर में हुआ पूजन

श्रीमहंत देव्यागिरि ने कहा धर्म, वैज्ञानिक सोच को भी विकसित करने का देता है संदेश

● सिलाई केन्द्र की महिलाओं का किया गया सम्मान

  डालीगंज के प्रतिष्ठित मनकामेश्वर मठ मंदिर में श्रीमहंत देव्यागिरि ने भगवान विश्वकर्मा का पूजन शुक्रवार 17 सितम्बर को किया। इस अवसर पर मनकामेश्वर मठ मंदिर की ओर से मिशन शक्ति अभियान के तहत संचालित सिलाई केन्द्र की महिला शक्तियों का सम्मान भी किया गया।

  श्रीमहंत देव्यागिरि ने भगवान विश्वकर्मा का सम्बंध भी महादेव के परिवार से है। दरअसल उनकी बेटी ऋद्धि-सिद्धि का विवाह प्रथम देव गणपति से हुआ था। भगवान विश्वकर्मा ने सबसे पहले सत्ययुग में स्वर्गलोक, त्रेता युग में लंका, द्वापर में द्वारका और कलियुग के आरम्भ के 50 साल पहले हस्तिनापुर और इन्द्रप्रस्थ का निर्माण किया। विश्वकर्मा ने ही जगन्नाथ पुरी के जगन्नाथ मन्दिर में स्थापित भगवान कृष्ण, देवी सुभद्रा और बलराम की विश्वविख्यात मूर्तियों का भी निर्माण किया। इसलिए भगवान विश्वकर्मा कुशल शिल्प होने के साथ-साथ वैज्ञानिक भी थे। मान्यता के अनुसार भगवान विश्वकर्मा ने ही ब्रह्माजी के लिए पुष्पक विमान की रचना की थी। ऐसे में धर्म समाज को वैज्ञानिक सोच विकसित करने का भी संदेश देता है।

  विश्वकर्मा जयंती समारोह में मनकामेश्वर मठ-मंदिर की ओर से बीते तीन वर्षों से संचालित महिला सिलाई केन्द्र की महिला शक्तियों का सम्मान भी किया गया। इस अवसर पर महिला संत ऋतुजा गिरि, गौरजा गिरि कल्याणी गिरि, उपमा पाण्डेय, जगदीश गुप्ता अग्रहरि, मालती शुक्ला, सुनीता चौहान, ज्योति कश्यप, श्रुति पाण्डेय, अंकुर पाण्डेय, दीपू पाण्डेय, आशू, अनिल मिश्र, गौरव शुक्ला सहित अन्य भक्त उपस्थित रहे।