बुढ़ापा : एक मार्मिक अहसास
राघवेन्द्र कुमार राघव- अंगों में भरी शिथिलता नज़र कमज़ोर हो गयी । देह को कसा झुर्रियों ने बालों की स्याह गयी । ख़ून भी पानी बनकर दूर तक बहने लगा । जीवन का यह छोर […]
राघवेन्द्र कुमार राघव- अंगों में भरी शिथिलता नज़र कमज़ोर हो गयी । देह को कसा झुर्रियों ने बालों की स्याह गयी । ख़ून भी पानी बनकर दूर तक बहने लगा । जीवन का यह छोर […]