प्रधानमन्त्री-कार्यालय ने ‘जालसाज़ पूजा’ को डिप्टी कलेक्टर क्योँ बनाया?

पूजा खेडकर-आइ० ए० एस०-काण्ड– एक

पूजा खेडकर महाराष्ट्र मे पुणे की रहनेवाली है, जिसकी अवस्था ३२ वर्ष बतायी जाती है। उसका पिता दिलीप खेडकर आइ० ए० एस०-अधिकारी रह चुका है, जो अब महाराष्ट्र-राजनीति मे सक्रिय दिख रहा है। दिलीप खेडकर वर्ष २०२४ के लोकसभा-चुनाव मे ‘वंचित बहुजन अघाड़ी’ की ओर से महाराष्ट्र के अहमदनगर-क्षेत्र से चुनाव भी लड़ा था; मगर पराजित हो गया था। आइ० ए० एस०-परीक्षा मे ज़ोरदार खेल करनेवाली पूजा खेडकर ने अर्हता के साथ परीक्षा उत्तीर्ण करने के लिए निर्धारित अवसर से अधिक बार परीक्षा दी थी, जिसके लिए उसने अपने माँ-बाप तक का नाम बदल डाला था। उसने वर्ष २०२२ मे यू० पी० एस० सी० की परीक्षा उत्तीर्ण कर ली थी। उसका ऑल इण्डिया रैंक ८४१ था। चूँकि वह ‘नॉन क्रीमी लेयर’ और विकलांगता के कोटे से आयी थी इसलिए ८४१ रैंक होने के बावुजूद उसे ‘आइ० ए० एस०-वर्ग मे रखा गया था। उसका कहना था– उसे कम दिखायी पड़ता है; उसकी आँखेँ नष्ट हो रही हैँ; वह किसी चीज़ को कहीँ रखकर भूल जाती है। इस दृष्टि से वह नियमत: ‘विकलांग-कोटे’ का हक़दार बन जाती है।

उसे अन्य सफल विद्यार्थियोँ के साथ मसूरी के लाल बहादुर शास्त्री प्रशासनिक ऐकडेमिक भेजा गया था। पूजा का प्रशिक्षण पूर्ण हुआ ही नहीँ था कि प्रधानमन्त्री-कार्यालय के अन्तर्गत काम करनेवाले ‘कार्मिक एवं प्रशिक्षण-विभाग’ की ओर से उसे पुणे (महाराष्ट्र) के कलेक्टरेट-कार्यालय मे असिस्टेण्ट कलेक्टर के रूप मे नियुक्ति दे दी गयी थी। नियुक्तिपत्र पाने के बाद पूजा ने कलेक्टर-कार्यालय की देखरेख करनेवाले प्रमुख कर्मी को सूचित किया था– मै चार्ज लेने आ रही हूँ; मेरी सारी व्यवस्था फ़ौरन की जाये।

पूजा जब कलेक्टरेट-कार्यालय पहुँची तब अपने आदेश के अनुसार कोई व्यवस्था न पाकर, वह आग-बबूला हो उठी।

वर्ष २०२३ बैच की आइ० ए० एस०-अधिकारी पूजा खेडकर अपनी नियुक्ति के बाद उस समय विवादोँ मे आ गयी थी जिस समय वह एडिशनल कलेक्टर अजय मोरे के कार्यालय पर, पूरी गुण्डई दिखाते हुए, क़ब्ज़ा कर लिया था। उसने उनकी नामपट्टिका हटवा दी; कार्यालय के सारे फ़र्नीचर अपने हिसाब से लगवाये; लाल-नीली बत्ती, ह्वी० आइ० पी०-नम्बर-प्लेट तथा महाराष्ट्र-सरकार के स्टिकर लगाकर अपनी निजी कार का दुरुपयोग करती रही। वह अपने प्रोबेशन-अवधि मे उन सुविधा-साधनो की माँग करने लगी थी, जिसके लिए वह अधिकृत नहीँ थी। वह सरकारी बंगला, सुरक्षाकर्मी आदिक की व्यवस्था तत्काल चाहती थी।

यहीँ से एक-एककर उसके पाप का घड़ा फूटने लगा था।
पूजा खेडकर लगातार संघलोक सेवा आयोग के नियमो की अवहेलना करती रही और उसे शह दी जाती रही, फिर प्रश्न उठता है– उसे किसके इशारे पर वैसा कराया जाता रहा? उसे संघ लोक सेवा आयोग का तत्कालीन अध्यक्ष झेलता क्योँ रहा?

अब जब प्रकरण खुल गया है और संघ लोक सेवा आयोग के सम्बद्ध अधिकारियोँ की अति शिथिलता सामने आ चुकी है तब संघ लोक सेवा आयोग की ओर से थाने मे एफ० आइ० आर० करायी गयी है। सिविल सेवा परीक्षा २०२२ के नियमो के अन्तर्गत आरोपित पूजा खेडकर की उम्मीदवारी निरस्त करने और भविष्य की परीक्षाओँ मे शामिल पर प्रतिबन्ध लगाने के लिए ‘कारण बताओ’ नोटिस जारी किया गया है। संघलोक सेवा आयोग की ओर से जो जाँच करायी गयी है, उसमे जो तथ्य सामने आये हैँ, वे बेहद चौँकानेवाले हैँ। संघलोक सेवा आयोग की जाँच से ज्ञात हुआ है कि पूजा खेडकर ने अपना नाम, अपने मातापिता का नाम, अपने चित्र और हस्ताक्षर, अपनी ई० मेल आइ० डी०, मो० फ़ोन नं० तथा अपने वास्तविक घर का पता बदलकर निर्धारित समय से अधिक बार यू० पी० एस० सी० की परीक्षा दी थी। ऐसे मे, प्रश्न है, इससे पहले तक संघलोक सेवा के सबन्धित अधिकारी सो रहे थे?

जाँच के बाद यह सुस्पष्ट हो गया है कि आरोपित पूजा ने कदाचार की सीमा जाने कितनी बार पार कर की थी; परन्तु संघ लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष और उसके अधिकारियोँ को हवा तक नहीँ लगने दी। यह भी हो सकता है, उक्त आयोग के अध्यक्ष और अधिकारी उस पर विशेष रूप से मेहरबान रहे होँ, यह भी जाँच का विषय बनता है।

नियमत: यू० पी० एस० सी०-परीक्षा मे बैठने के लिए अलग-अलग श्रेणी के अन्तर्गत अभ्यर्थियोँ को अलग-अलग अवसर मिलते हैँ। जैसे सामान्य श्रेणी के अन्तर्गत कोई भी अभ्यर्थी ३२ वर्ष की अवस्था से पूर्व कुल छ: बार यू० पी० एस० सी-परीक्षा मे बैठ सकता है; अन्य पिछड़े-वर्ग के अन्तर्गत ३५ वर्ष की अवस्था तक कुल नौ बार परीक्षा देने के अवसर मिलते हैँ तथा अनुसूचित जाति-जनजाति-श्रेणी के अन्तर्गत ३७ वर्ष की अवस्था तक परीक्षा दी जा सकती है।

अब समझते हैँ, संघ लोक सेवा आयोग के इतिहास मे अभूतपूर्व कदाचार करनेवाली पूजा खेडकर की कारस्तानी को। उसने २०२२ मे यू० पी० एस० सी० की परीक्षा उत्तीर्ण की थी। उसका ‘ऑल इण्डिया रैँक’ ८४१ था, बावुजूद उसे आइ० ए० एस० के वर्ग मे रखा गया था। पूजा खेड़कर ने यहाँ तक पहुँचने के लिए निर्धारित सीमा से अधिक बार तक परीक्षा दी थी; उसने नये नाम और नयी पहचान का सहारा लिया था; अपने माँ-बाप का नाम तक बदल दिया था तथा ‘ओ० बी० पी० सी० नॉन क्रीमी लेयर’ और विकलांगता के कोटे से परीक्षा दी थी।

संघलोक सेवा आयोग की ओर से छ: बार पूजा से कहा गया था कि वह एम्स मे अपनी विकलांगता का परीक्षण कराकर उसकी रिपोर्ट आयोग को सौँपे। इसके लिए आयोग की ओर से एम्स के चिकित्सकोँ से छ: बार समय लिया गया था :– २२ अप्रैल, २०२२ ई०; २६ मई, २०२२ ई०; १ जुलाई, २०२२ ई०; २६ अगस्त, २०२२ ई०; २ सितम्बर, २०२२ ई० तथा २५ नवम्बर, २०२२ ई०; परन्तु वह हर बार कभी कोरोना तो कभी कुछ का बहाना बनाकर टालती रही। उसका एम० आर० आइ० का भी परीक्षण कराना था। उसने किसी निजी चिकित्सालय की रिपोर्ट आयोग को दी थी, जिसे उसने लेने से इन्कार कर दिया था।

(सर्वाधिकार सुरक्षित– आचार्य पण्डित पृथ्वीनाथ पाण्डेय, प्रयागराज; १ अगस्त, २०२४ ईसवी।)
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