शब्द-चिन्तन

डॉ० पृथ्वीनाथ पाण्डेय-


शब्द परा है तो अपरा भी; शब्द ज्योति है तो तिमिर भी; शब्द स्थूल है तो सूक्ष्म भी; शब्द नूतन है तो पुरातन भी; शब्द रुदन है तो हास भी; शब्द सौम्य है तो उद्धत भी; शब्द विस्तीर्ण है तो संकीर्ण भी; शब्द बृहद् है तो लघु भी; शब्द तर्क है तो कुतर्क भी; शब्द कर्म है तो फल भी; शब्द उत्तीर्ण है तो अनुत्तीर्ण भी; शब्द वियोग है तो संयोग भी; शब्द आकार है तो निराकार भी; शब्द क्रिया है तो प्रतिक्रिया भी; शब्द ऋजु है तो वक्र (तिर्यक्) भी; शब्द बन्धन है तो मोक्ष भी; शब्द संस्कृति है तो विकृति भी; शब्द संवाद है तो विवाद भी; शब्द शंका है तो समाधान भी; शब्द उषा है तो निशा भी; शब्द प्रकृति है तो पुरुष भी; शब्द तृषा है तो तृप्ति भी; शब्द लौकिक है तो पारलौकिक भी; शब्द जीव है तो ब्रह्म भी; शब्द अथ है तो इति भी; शब्द जीवन है तो मरण भी तथा शब्द ‘शब्द’ है तो ‘निश्शब्द’ भी।

(सर्वाधिकार सुरक्षित : डॉ० पृथ्वीनाथ पाण्डेय, प्रयागराज; ४ जून, २०१९ ईसवी)