बाहर का कप

आकांक्षा मिश्रा

मोहिनी, सुबह 7 बजे से लेकर 11 बजे तक अपनी मेम साहब के यहाँ काम करती । सारे काम मोहिनी के जिम्मे ……. मेमसाहब 8 बजे उठती, उसके एक घण्टे पहले मोहिनी के काम शुरू । सफाई से लेकर नाश्ता बनाने तक का जिम्मा । मेमसाहब तैयार होकर डाइनिंग टेबल पर पहुँचती, नाश्ता पहुँच जाता टेबल पर ।

प्लेट में नाश्ता लगाने का काम मेमसाहब स्वयं करती । तब बच्चे और साहब भी आ जाते । सबकी प्लेट परोसकर अंत में मोहिनी को आवाज देती, मोहिनी ! तेरा कप कहाँ…… फिर भूल गई… लायी मेमसाहब …..।

वहीं मोहिनी रोज मन ही मन सोचती कि सारे काम खुद करती हूँ, नाश्ता भी ! इसके बावजूद बाहर का कप …….।