त्वरित टिप्पणी : बंगाल में टी०एम०सी०, बी०जे०पी० तथा सी०पी०एम० के नेताओं की खुली गुण्डागर्दी

 डॉ० पृथ्वीनाथ पाण्डेय


 प. बंगाल के ५८ हज़ार पंचायत-चुनाव में तृणमूल काँग्रेस, भारतीय जनता पार्टी तथा साम्यवादी पार्टी के राजनेताओं और कार्यकर्त्ताओं ने जमकर गुण्डागर्दी की है, जिसमें पाँच राजनीतिक कार्यकर्त्ताओं की मृत्यु हो चुकी है, जिनमें तीन टी०एम०सी०, एक साम्यवादी दल तथा एक भा०ज०पा० के कार्यकर्त्ता सम्मिलित हैं। 

घर में आग लगाकर साम्यवादी दल के कार्यकर्त्ता पति-पत्नी को ज़िन्दा जलाकर हत्या और भारतीय जनता पार्टी के नेताओं और कार्यकर्त्ताओं के साथ मारपीट की गयी है। टी०एम०सी०, बी०जे०पी० तथा साम्यवादी दल के गुण्डे कार्यकर्त्ता एक-दूसरे पर जमकर लाठी-दण्डों, बॉम्ब, पिस्टल आदिक से हमला करते देखे गये हैं। वर्चस्व की रक्तिम लड़ाई में टी०एम०सी० के गुण्डे बीस साबित हो रहे हैं। दरअस्ल, जिस दल की जहाँ-जहाँ सरकारें हैं, उस दल के राजनेता सारे नियम-क़ानून को ताक़ पर रखकर गुण्डागर्दी करते-कराते आ रहे हैं। सत्ता बचाने, सत्ता का विस्तार करने तथा दूसरे दलों को अपने आस-पास न देखने के कुद्देश्य से वैसे कुकृत्य किये-कराये जा रहे हैं। ‘वर्चस्व की लड़ाई’ आज समूचे देश में दिखायी दे रही है; और वह भी बीभत्स रूप में। यह लोकतन्त्र के चरित्र और मर्यादा के पूर्णत: विपरीत है, जिसका भुगतान ज़रूरत से अधिक होशियार राजनेताओं को करना ही पड़ेगा।
हमारे राजनेता भूल जाते हैं कि उनकी कर्मकुण्डली देर-सवेर बाँची जाती है; फिर जो सच जिस रूप में सामने आता है, वह अतीव बीभत्स होता है, जो ‘जग-हँसाई’ के लिए पर्याप्त होता है। ऐसे क्रूर, निर्दय, कसाई तथा शातिर मानसिकतावाले अपने जीवन के उत्तरार्द्ध में इतने अशक्त हो जाते हैं कि शेष ज़िन्दगी में पश्चात्ताप करते रहते हैं; इसलिए कुकर्म, दुष्कर्म, अत्याचार, अनाचार, कदाचार आदिक से स्वयं को पृथक् करते हुए, लोकमंगल के उद्देश्य से कर्त्तव्यमार्ग पर बढ़ते रहना चाहिए। सत्ताधीश होने का यह अर्थ कदापि नहीं कि कोई अहम्मन्य होकर सम्पूर्ण मान-मर्यादा का उल्लंघन और अतिक्रमण करता रहे; लोकतन्त्र को मुँह चिढ़ाता रहे; परन्तु भारत की राजनीति में ‘अंगद’ की भाँति पाँव टिकाये राजनेताओं की मंशा वैसी ही दिख रही है।
(सर्वाधिकार सुरक्षित : डॉ० पृथ्वीनाथ पाण्डेय, इलाहाबाद; १४ मई, २०१८ ई०)