‘दैनिक जागरण’ की स्टीकर लगी कार सिविल लाइन्स के बीच सड़क पर खड़ी मिली!..?

● आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय

नीचे दिखायी गयी कार नवाब यूसुफ़ मार्ग, सिविललाइन्स लाइन्स, प्रयागराज के उस सड़क-मार्ग पर बन्द करके काफ़ी देर तक खड़ी कर दी गयी थी, जिसे नगर का अति व्यस्त क्षेत्र माना जाता है। इस वाहन का चालक गाड़ी मे बैठा-लेटा दिख नहींं रहा था। यह वह मार्ग है, जहाँ दो पहिया वाहनों की हर तरह से मरम्मत की जाती है। इस छोर से उस छोर तक दोनो पट्टियों पर मोटर साइकिल और स्कूटर-स्कूटी के सामान की दुकाने हैं, जिसके कारण सड़क-मार्ग के २५ प्रतिशत भाग का अतिक्रमण कर लिया जाता है। ठीक उसी जगह पर वाहन के आगे-पीछे ‘दैनिक जागरण’ की स्टीकर लगाया हुआ यह वाहन खड़ा कर दिया गया था। उसके आगे और पीछे का यातायात थम चुका था। ठीक उस वाहन के पीछे यात्रियों से भरी सिटी बस रास्ता न मिल पाने के कारण खड़ी कर दी गयी थी। वह कार लगभग २० मिनट तक खड़ी रही। यह घटना आज (१ अगस्त) अपराह्ण ४.३० से ५ के मध्य की है। उस वाहन का नम्बर है– ‘यू पी ७० डी एच ओ ५८२’।

काफ़ी देर-बाद एक व्यक्ति उस गाड़ी मे दिखा था; मैने उससे पूछा, “किसकी गाड़ी है?” उसका परेशानीभरा उत्तर था, “अरे वो डॉक्टर हैं; पता नहीं कहाँ चले गये हैं।” तब तक मै उस वाहन के कई चित्र खींच चुका था।
लोगबाग़ जब आक्रोशित हुए तब वह कथित डॉक्टर दिखा, जिसे मै स्वयं पहचान नहीं पा रहा था।

अब प्रश्न है, कोई किसी भी समाचारपत्र के नाम का स्टीकर अपने वाहन के आगे-पीछे लगवाकर मनमानी कैसे कर सकता है? लोग ‘दैनिक जागरण’ का नाम जोड़कर जीभर कर मा-बहन कर रहे थे। बेशक, इससे ‘दैनिक जागरण’ प्रतिष्ठान का नाम कलंकित हुआ है, जबकि प्रतिष्ठान का इसमे कोई दोष नहीं है; लेकिन लोग तो यही समझेंगे न, कि उस आरोपित वाहन मे ‘दैनिक जागरण’ का कोई महत्त्वपूर्ण व्यक्ति बैठा होगा, इसलिए ‘दैनिक जागरण’ के प्रशासन-विभाग के शीर्षस्थ अधिकारी का दायित्व बन जाता है कि वे उक्त प्रकरण का संज्ञान करते हुए, कठोर काररवाई करें और किसी भी वाहन पर अपने प्रतिष्ठान का नाम अंकित कराने की आज़ादी हर किसी को न दें और न ही नाम अंकित वाहन पर घूमने के लिए दें।

आश्चर्य की बात! वहाँ से वाहन हटा लेने के बाद उसी वाहन को उसी मार्ग पर लगभग १० मीटर की दूरी पर फिर खड़ा कर दिया गया था; लेकिन इस बार किनारे खड़ा किया गया था। वह कथित डॉक्टर वाहन की अगली सीट पर दायीं ओर बैठकर मोबाइल फ़ोन चला रहा था।

मैं यातायात-विभाग के अधिकारियों और पुलिस-प्रशासन से उस कथित डॉक्टर के विरुद्ध काररवाई की माग करता हूँ।

(सर्वाधिकार सुरक्षित– आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय, प्रयागराज; १ अगस्त, २०२२ ईसवी।)