आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय ने पी० जी० टी० हिन्दी-परीक्षा के जारी उत्तरमाला को लेकर आयोग को चुनौती दी

आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय

राघवेन्द्र कुमार त्रिपाठी ‘राघव’

कल आचार्य पृथ्वीनाथ पाण्डेयजी ने ‘सीरीज़ ए’ से सम्बन्धित पी० जी० टी० परीक्षा के हिन्दी-विषय के प्रश्नपत्रों में की गयी भयंकर अशुद्धियों की ओर आयोग का ध्यान आकर्षित किया था। आयोग ने अभी हाल ही में उक्त परीक्षा के हिन्दी-विषय के प्रश्नों के उत्तर जारी किये हैं, जिनमें बड़ी संख्या में तथ्यात्मक अशुद्धियाँ की गयी हैं, जिनके कारण आयोग की ओर से जारी उत्तर ग़लत दिख रहे हैं। भाषाविज्ञानी आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय ने आयोग-द्वारा जारी की गयी उत्तरमाला में से बड़ी संख्या में सप्रमाण ग़लत उत्तरों को रेखांकित किये हैं, जिनके आधार पर उनका कहना है कि जितने भी प्रश्न और विकल्प ग़लत हैं, उन्हें परीक्षण से बाहर करना होगा, तभी परीक्षार्थियों के साथ न्याय होगा।

आचार्य पं पृथ्वीनाथ पाण्डेय ने बताया है कि प्रश्न १ का उत्तर ‘ए’ ग़लत है; क्योंकि ‘बरवै नामिका भेद’ दिये गये विकल्पों में से किसी कवि की रचना नहीं है। आयोग-द्वारा प्रश्न १२ का उत्तर ‘ए’ बताया गया है, जबकि प्रश्नानुसार कोई भी विकल्प सही नहीं है। प्रश्न २४ का वाक्य ही अशुद्ध है, इसलिए आयोग-द्वारा जारी इसका उत्तर विचारणीय नहीं है। ‘आपने क्या कहा सो मैंने नहीं सुना’ में ‘क्या’ के स्थान पर ‘जो’ का व्यवहार होगा; क्योंकि ‘जो’ के साथ ‘सो’ का प्रयोग होता है। प्रश्न ४० का उत्तर ‘बी’ दिया गया है, जबकि सही उत्तर ‘डी’ होगा; क्योंकि
“धनि सोई जस कीरति जासू। फूल मरै, पै मरै न बासू।।” ‘जायसी’ की रचना है, ‘कबीरदास’ की नहीं। आयोग ने प्रश्न ५२ का उत्तर ‘बी’ बताया है, जो कि अशुद्ध है; क्योंकि ‘कुवलयमाला कथा’ दिये गये विकल्पों में से किसी से भी सम्बन्धित नहीं है; मूल पुस्तक का नाम ‘कुवलयमाला’ है। प्रश्न ५४ का उत्तर ‘डी’ (खस) बताया गया है, जो कि ग़लत है; सही उत्तर ‘खश’ है, जो विकल्प में है ही नहीं। प्रश्न ५६ का उत्तर ग़लत ‘डी’ बताया गया है, जो कि ग़लत है; क्योंकि ‘एतराज’ कोई सार्थक शब्द नहीं है। आयोग ने प्रश्न ७८ का उत्तर ‘बी’ बताया है, जो कि अनुपयुक्त है; कारण कि सोमप्रभ सूरि ने ‘कुमारपालप्रतिबोध’ की रचना नहीं की थी। कृतिकार और कृति के नाम ही ग़लत हैं। श्रीसोमप्रभाचार्य ने ‘कुमारपालप्रतिबोध:’ की रचना की थी।
आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय ने उक्त तथ्यों के आलोक में उच्चस्तरीय जाँच की माँग की है, ताकि विद्यार्थियों के भविष्य के साथ किये जा रहे खिलवाड़ पर अंकुश लगाया जा सके।