‘उत्तरप्रदेश लोकसेवा आयोग’ का बेईमान चरित्र!

डॉ० पृथ्वीनाथ पाण्डेय


डॉ० पृथ्वीनाथ पाण्डेय
(प्रख्यात भाषाविद्-समीक्षक)

इलाहाबाद-स्थित उत्तरप्रदेश लोकसेवा आयोग आज (१९ जून, २०१८ ई०) एक बार फिर से दाग़दार हुआ है।
पी० सी० एस० (मुख्य) परीक्षा में द्वितीय पाली के निबन्ध-विषय का प्रश्नपत्र प्रथम पाली में ही राजकीय इण्टर कॉलेज, इलाहाबाद के परीक्षाभवन में और भवन से बाहर सार्वजनिक हो चुका था, जबकि प्रथम पाली में ‘सामान्य हिन्दी’ विषय की परीक्षा होनी थी। अब तत्काल प्रभाव से दोनों विषयों की परीक्षाएँ स्थगित कर दी गयी हैं। इससे ज़ाहिर होता है कि राज्य-शासन की इस सबसे बड़ी परीक्षा संचालित कराने के प्रति उक्त आयोग गम्भीर नहीं है। वैसे भी इस परीक्षा से पूर्व अभ्यर्थी इसे टालने की माँग कर रहे थे, जो नहीं मानी गयी।

इस प्रकरण की गम्भीरतापूर्वक जाँच होनी चाहिए, ताकि वास्तविक अपराधी न बच सकें और न बचाये जा सकें। इस गर्हित कृत्य में अनेक कर्मचारियों-अधिकारियों की भागीदारी से बिलकुल इंकार नहीं किया जा सकता है।
परीक्षार्थियों के वर्षों के श्रम का मूल्य नगण्य रह गया है। वैसे भी दशकों से इस आयोग में प्रत्येक स्तर पर किया जा रहा पापाचार प्रत्यक्ष हो चुका है, जिसका प्रतियोगितात्मक परीक्षार्थियों के भविष्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है।
(सर्वाधिकार सुरक्षित : डॉ० पृथ्वीनाथ पाण्डेय, इलाहाबाद;१९ जून, २०१८ ई०)