कैसा हो बाल साहित्य का स्वरुप : एक विचार

रजनी गुसैन – Sarahi Prakashan की वॉल से 


भारत में साहित्य सृजन का क्षेत्र बहुत विस्तृत हैं! साहित्य की विभिन्न विद्याऐं प्राचीन समय से ही भारतीय साहित्य में उपलब्ध हैं! साहित्य को विभिन्न श्रेणियों में बांटा गया हैं! साहित्य सृजन की ऐसी ही एक श्रेणी हैं बाल साहित्य! बाल साहित्य से अभिप्राय हैं बच्चों के लिए लिखा जाना वाला साहित्य जिसको बच्चे सुरुचिपूर्ण ढंग से पढ़ सके! जैसे बच्चों के खान पान का विशेष ध्यान रखा जाता हैं वे क्या खा रहे हैं जिससे उनका शारीरिक मानसिक विकास सही ढंग से हो उसी प्रकार बच्चों में पढ़ने की रूचि उत्पन्न करने तथा उनके बौद्धिक विकास के लिए यह जानना आवश्यक हैं के वह क्या पढ़ रहे हैं! इसलिए बाल साहित्य के अन्तर्गत प्रकाशित होने वाली पुस्तकों में रचनात्मक, मनोरंजक, ज्ञानवर्धक बिन्दुओ का समावेश होना जरुरी होता हैं!
यूँ देखा जाये तो एक बालक अपने जन्म से ही कहांनियों, कविताओं से परिचित हो जाता हैं! माँ जब थपकी देकर लोरी, शिशु गीत सुनाती हैं तो रोता हुआ बालक चुप हो जाता हैं! कविताओं कहांनियों की दुनिया में शिशु का यह पहला कदम होता हैं! बाल्यकाल से ही बच्चे अपने दादा दादी नाना नानी के मुख से मौखिक कहानियां लोक कथाये सुनते हैं! बच्चों के लिए प्रकाशित होने वाली कई नीतिगत लोककथाओं की पुस्तकों के शीर्षक भी इसी नाम से होते हैं ‘दादा दादी की कहानियां अथवा नाना नानी की कहांनियां!
बदलते समय के अनुसार बाल साहित्य में प्रकाशित होने वाली पुस्तकों, चित्रकथाओं के प्रकाशन संबंधी तकनीक में प्रगति हुई हैं! कम्प्यूटरीकरण के कारण बच्चों द्वारा पढ़ी जाने वाली पुस्तके अब अधिक मनभावन आकर्षक रंगीन चित्रों में प्रकाशित होती हैं! बच्चे रंग बिरंगी वस्तुओ के प्रति ज्यादा आकर्षित होते हैं! विशेषतः छोटे बच्चे! छोटी छोटी बाल कहानियां कविताएं जब आकर्षक रंगीन चित्रों के साथ प्रकाशित होती हैं तो लिखना पढ़ना सीख रहे प्री प्राइमरी के बच्चों को अपने मनभावन रंगीन चित्रों से आकर्षित करती हैं! पुस्तक के प्रति बच्चों की जिज्ञासा को बढाती हैं! रंगीन चित्रों के माध्यम से बच्चा कहानी या कविता को जल्दी समझ भी जाता हैं! बाल साहित्य की ये श्रेणी नन्हे बाल पाठक वर्ग के लिए आती हैं! यहाँ यह नन्हा पाठक वर्ग कहानी कविता को अभी पढ़ नहीं सकता! वह अभी लिखना पढ़ना सीख रहा हैं! कक्षा अध्यापिका या घर पर किसी सदस्य द्वारा पत्रिका या पुस्तक में से कहानी कविता पढ़ कर बच्चे को सुनाई जाती हैं! यह प्रक्रिया बच्चों में पुस्तकों के प्रति रूचि बढ़ाने में सहायक होती हैं! यहाँ बाल साहित्यकारों की रचनात्मक परीक्षा बढ़ जाती हैं! छोटे बच्चों के लिए लिखी जाने वाली कहानी कविता छोटे छोटे वाक्यों में हो! जो बच्चों को आसानी से समझ आ जाए! वही इन रचनाओं में मनोरंजन का भी पुट हो! जो बच्चों में कहानी कविताओं के प्रति रूचि बढ़ाये! बाल साहित्य का रचनात्मक संसार बहुत व्यापक हैं! किसी और श्रेणी के साहित्य में उतनी व्यापकता नजर नहीं आती जितनी बाल साहित्य में हैं! परियों जादूगरों चाँद तारों पशु पक्षियों की काल्पनिक कहानियों से लेकर ज्ञान विज्ञान आधुनिक सोच के बाल उपन्यास पुस्तके आदि की रचनाओं में ये व्यापकता देखने को मिलती हैं!
बाल साहित्य में दूसरी श्रेणी उस बाल पाठक वर्ग की आती हैं! जो लिखना पढ़ना सीख गया हैं! इस श्रेणी के अन्तर्गत ज्ञान, विज्ञान से सम्बंधित रोचक जानकारी देने वाली पुस्तके के अतिरिक्त बाल उपन्यास बाल नाटक बाल कहानी संग्रह आदि आते हैं! समय बदलाव का हैं! विज्ञान तकनीक के इस युग में बाल साहित्य की सृजनशीलता में भी आधुनिक वैज्ञानिक मनोरंजक व्यवहारिक भावुक दृष्टिकोण का सम्मिश्रण होना चाहिए!
बाल साहित्य का रचना संसार बच्चों के इर्द गिर्द घूमता हैं! इसलिए यह आवश्यक हैं अधिक से अधिक बच्चे, बच्चों के लिए प्रकाशित होने वाली पुस्तकों को पढ़े! उनके बारे में जाने! विद्यालय, प्रकाशन समूह तथा बच्चों के लिए काम करने वाली संस्थायें इसमें अग्रणी भूमिका निभा सकती हैं! इन सभी संस्थाओं द्वारों समय समय पर बच्चों के लिए बाल साहित्य से सम्बंधित बाल गोष्ठी, वर्कशॉप आदि का आयोजन किया जा सकता हैं! बाल साहित्यकारों को वक्ता के रूप में निमंत्रित किया जा सकता हैं! जिसमे बच्चे सीधे अपने पसंदीदा बाल साहित्यकारों से संवाद स्थापित कर सकते हैं! बच्चों में पढ़ने के साथ साथ लेखन के प्रति भी रूचि उत्पन्न हो1 उनकी रचनात्मक क्षमता को पोषण मिले इसके लिए बच्चों के लिए कहानी कविता लेखन की प्रतियोगिताएं आयोजित की जा सकती हैं! बच्चों के लिए प्रकाशित होने वाली पत्रिकाओं में कुछ कॉलम बच्चों द्वारा लिखी जाने वाली कहानियों के लिए सुरक्षित रखे जा सकते हैं!
समाज में बाल साहित्य को बढ़ावा देने तथा इसके अधिक से अधिक प्रसार के लिए इस बात का विशेष ध्यान रखा जाए कि बाल साहित्य का सृजन मनोरंजक तथा रुचिपूर्ण ढंग से किया गया हो जिससे बच्चों में पठन पाठन की प्रवृति बढे