अपनी दयनीय दशा पर रोता और खुद के इलाज को तरसता अस्पताल

न चिकित्सक, न बिजली, न पानी; महज एलटी व फार्मासिस्ट के बदौलत अस्पताल की चिकित्सा व्यवस्था चल रही है। गांवों में बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए चलाई जा रही योजनाओं को अधिकारी किस तरह से पलीता लगा रहे हैं, इसकी बानगी संडीला स्थित प्राथमिक चिकित्सालय लुमामऊ में देखने को मिल रही है। यह अस्पताल खुद के इलाज को तरस रहा है।
लुमामऊ का यह अस्पताल महज एक एलटी व एक फार्मासिस्ट के सहारे चल रहा है। इस अस्पताल में मरीजों की संख्या तो दिनों-दिन बढ़ रही है, लेकिन उनके इलाज के लिए दवाएं नहीं हैं। कम्प्यूटर है लेकिन ऑपरेटर नहीं, इनवर्टर तो खरीद लिया गया है लेकिन अभी तक उसकी फिटिंग नहीं कराई गई है। लाखों रुपये का बजट होने के बाद भी मरीजों को अधिकतर दवाएं बाजार से खरीदनी पड़ रही हैं।
इस अस्पताल में हर रोज एक सैकड़ा से अधिक मरीज आ रहे है। पीएचसी में गंदगी का अम्बार लगा है। चारो ओर झाड़ झंखाड़ खड़ा है। पानी और विद्युत व्यवस्था भी दयनीय है। आवास तो बने है लेकिन अव्यस्थाओं के बीच खड़े है। कुल मिलाकर अस्पताल अपनी दयनीय दशा पर रो रहा है और खुद के इलाज को तरस रहा।