तन्हाई का सफर

तन्हाई में जीने का अंदाज अलग होता है।
रूठने और मनाने का अंदाज़ अलग होता है।।

दो जिस्म अलग अलग हो बेशक जमाने मे।
रूह से रूह का मिलन मगर अलग होता है।।

आसान नहीं बीते वक़्त को भुलाना दोस्त।
यादों के महल को गिराना मगर अलग होता है।।

आँख से आँसू बहते हैं झर झर तन्हाई में।
वो चाँदनी रात में बातों का अंदाज़ अलग होता है।।

मंजिलें इश्क की नित नया सबक सीखाती है।
पुरोहित तन्हाई का सफर कितना अलग होता है।।

डॉ. राजेश पुरोहित
भवानीमंडी