हमारी संस्था ‘सर्जनपीठ’, प्रयागराज की ओर से हाल ही मे इस काव्यकृति का प्रकाशन किया गया था, जिसका लोकार्पण-समारोह कल (३० मार्च) शिलांग (मेघालय) मे सम्पन्न हुआ था।
यह मेघालय की पन्द्रह कवयित्रियों की कविताओं का ऐसा सारस्वत संगम है, जिसमे अवगाहन कर, पाठकवर्ग आत्मसंतुष्टि की प्राप्ति कर लेता है।
प्रियवर-द्वय :– सम्पादिक डॉ० अनीता पण्डा ‘अन्वी’ जी और सह-सम्पादिका नीता शर्मा जी के अथक प्रयास के परिणामस्वरूप यह काव्यात्मक कृति प्रकाश मे आयी है और मेघालय की महिला-मेधा की रसप्रियता को बहुविध (यहाँ ‘बहुविधि’ अशुद्ध है।) निरूपित करती लक्षित हो रही है।
‘संवाद करते मेघ’ का हमने नामकरण किया है; क्योंकि इस कृति मे प्राकृतिक प्रान्त ‘मेघालय राज्य’ की प्रकृति अपने रसप्रिय प्रसाद का वितरण करती दिख रही है और सुषमा मन-प्राण को आह्लादित करती आ रही है।
मेघालय की समस्त कवयित्रियों ने अपने शब्दों के माध्यम से नाना सम्भावनाओं के कपाट खोल दिये हैं। हम सबका स्वागत करते हैं।