साहित्य क्या है?

आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय की पाठशाला

जिसमे जड़-चेतन का हित हो; कल्याण हो तथा भला हो, वह ‘साहित्य’ है। साहित्य जीवन का व्याख्याता है। साहित्य के परिशीलन से हृदय का परिष्कार होता है। उसमें प्रकृति का विपुल भण्डार है। साहित्य-द्वारा वर्जना, कुण्ठा तथा निराशा से आक्रान्त मनुष्य को उन्मुक्त कर, उसमे आशा का सञ्चार किया जाता है; प्रेम की सरिता उसकी भावनाओं को सुसंस्कृत करती है; उसका संशोधन करती है तथा उसे मुक्त कर व्यापक बनाते हुए, उसे सामाजिक और राष्ट्रीय (राष्ट्रिय) स्तर पर ले आती (यहाँ ‘जाती है’ का प्रयोग अशुद्ध है।)।

(सर्वाधिकार सुरक्षित– आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय, प्रयागराज; ३० जून, २०२२ ईसवी)