आज़ाद क़लम April 30, 2021 0 ★ आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय एक–चपटी धरती है कहीं, कहीं दिखे है गोल।आँख उठाकर देखिए, सब हैं पोलमपोल।दो–तुलसी औ’ कबीर सूर, सदा हमारे संग।क़लम आज हैं बिक रहे, दिखते नंग-धड़ंग।तीन–शिथिल पड़ी संवेदना, कपट हुई मन-बात।पहचानो! […]