पशु चिकित्सालय का जर्जर भवन अपनी बदहाली पर बहा रहा आँसू

कछौना, हरदोई। सरकार एक तरफ सैकड़ो योजनाओं को संचालित कर आमजनमानस को मुख्यधारा में जोड़ने का कार्य कर रही है। परंतु विभागीय अधिकारियों की खाऊ कमाऊ नीति के चलते जमीनी स्तर पर योजनाएं नहीं उतर पा रही है। जिसका खामियाजा आम जनमानस को उठाना पड़ रहा है।

विकासखंड कछौना की ग्राम सभा गौसगंज में स्थित पशु चिकित्सालय काफी पुराना है। जिसका भवन पूरी तरह से खंडहर हो गया है। दीवारें दरक चुकी हैं। बरसात के समय पानी टपकता है। पशु चिकित्सालय के सभी भवन वाहय रोगी, ऑफिस, स्टोर, फार्मासिस्ट आवास, चतुर्थ श्रेणी कक्ष पूरी तरह से जर्जर हो चुके हैं। इस चिकित्सालय से ग्राम सभा बेहसार, हसनापुर, बघौड़ा, गौरीखालसा, गौरी फखरुद्दीन, कहली, निर्मलपुर, खाजोहना, गौसगंज आदि ग्रामों के पशुपालकों के पशुओं की उचित इलाज हेतु पशु चिकित्सालय स्थित है, लेकिन खंडहर होने के कारण डॉ० पशु चिकित्सा अधिकारी नियमित रूप से नहीं आते हैं। केवल फार्मासिस्ट व चतुर्थ श्रेणी की उपस्थिति रहती है। जिससे पशुपालकों को लाभ नहीं मिल पाता है। जबकि शासन से प्रतिमाह लाखों रुपए का बजट दवा के रूप में पानी की तरह बहाया जा रहा है। पशुपालक प्राइवेट अप्रशिक्षित डॉक्टरों की शरण में जाने को विवश है।

विभागीय अधिकारियों की खाऊ कमाऊ नीति के चलते आम जनमानस में सरकारी सेवाओं के प्रति विश्वास कम हो रहे हैं। काफी गरीब व असहाय लोग ही सरकारी सेवा को लेने को बाध्य हैं। लेकिन समुचित इलाज के अभाव में उनके पशुओं की असमय मृत्यु हो जाती है। इस चिकित्सालय की बाउंड्री भी टूट चुकी है। फार्मासिस्ट, चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी जान को जोखिम में डालकर ड्यूटी करने को विवश हैं। शायद कोई हादसा होने पर ही प्रशासन कुम्भकर्णीय नींद से जागेंगे। कई वर्षों से जर्जर भवन की तरफ प्रशासनिक अमला ध्यान देना मुनासिब आखिर क्यों नहीं समझा। यह चिकित्सालय अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है। जागरूक नागरिकों व विभागीय अधिकारियों ने इस भवन के जीर्णोद्धार के लिए शासन प्रशासन को दर्जनों बार पत्र लिखकर मांग की। पशुपालकों को चिकित्सालय के जर्जर भवन व डॉ० पशु चिकित्सा अधिकारी नियमित रूप नहीं आने से काफी आक्रोश है।

रिपोर्ट – पी०डी० गुप्ता