आलू किसानों की समस्याओं को लेकर श्री केशव प्रसाद मौर्य की अध्यक्षता में मंत्री समूह की प्रथम बैठक आज हुई

प्रदेश में आलू किसानों की समस्याओं के निराकरण के लिए उप मुख्यमंत्री श्री केशव प्रसाद मौर्य की अध्यक्षता में गठित मंत्री समूह की प्रथम बैठक आज विधान भवन स्थित कार्यालय कक्ष में हुई । बैठक के दौरान उप मुख्यमंत्री श्री केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि केंद्र और प्रदेश सरकार किसानों की सभी प्रकार की समस्याओं के निराकरण के लिए संकल्पित है । श्री मौर्य ने कहा कि प्रदेश में किसानों के लिए चल रही केंद्र और राज्य सरकार की सभी योजनाओं को प्रभावी ढंग से लागू किया जाएगा और जो योजनाएं वर्तमान में अनुपयोगी हो गई है । उन पर विचार करते हुए उनके स्थान पर प्रभावी और किसानों के लिए लाभकारी योजनाएं लाई जाएंगी ।

श्री केशव प्रसाद मौर्य ने आलू किसानों की समस्याओं पर चर्चा करते हुए बताया कि उद्यान विभाग के माध्यम से आलू किसानों का पंजीकरण किया जाएगा और डीबीटी के तहत सभी प्रकार के लाभ सीधे उनके खाते में दिए जाएंगे। श्री मौर्य ने निर्देश दिए कि शीतगृहों में आलू भंडारण के समय उन्हें किसी प्रकार की समस्या न हो और अनावश्यक लाइन न लगे इसके लिये सभी जिलाधिकारियों कों निर्देश दिए जाएं। उप मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि विभिन्न राज्यों में चल रहे आलू मूल्य का तुलनात्मक अध्ययन कर लाभकारी मूल्य निर्धारित किए जाने का प्रस्ताव तैयार किया जाए । श्री केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि मांग और पूर्ति के लिये क्या-क्या विकल्प हो सकते हैं इस पर विचार करने के साथ-साथ निर्यात प्रोत्साहन के विकल्पों पर भी ध्यान दिया जाए । उन्होंने कहा कि यदि जरूरी होगा तो मंडी शुल्क समाप्त करने पर भी विचार किया जाएगा ।

श्री केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि दो लाख टन आलू क्रय किया जाना प्रस्तावित है, जिसके लिये सात एजेंसियाँ तय की गई हैं । आलू क्रय करने वाली एजेंसियों को 1 प्रतिशत प्रोत्साहन राशि दिए जाने और मध्यान्ह् भोजन योजना के तहत प्राथमिक विद्यालयों में आलू के उपयोग पर बैठक में विचार किया गया । श्री मौर्य ने खाद्य प्रसंस्करण नीति में आलू के उपयोग से जुड़े समस्त विकल्पों पर विचार करने के निर्देश अधिकारियों को दिए । उन्होंने कहा कि हम गरीब मजदूर व किसान को उनका वाजिब हक दिलाने के लिए उसके साथ खड़े हैं । अतः सभी प्रकार के विकल्पों में आलू किसानों को लाभकारी मूल्य दिलाने के लिए गंभीरता पूर्ण विचार किया जाए । अभी तक खाद्य प्रसंस्करण में मात्र 10 लाख टन आलू की खपत है और यह पर्याप्त नहीं है, इसे बढ़ाने के प्रयास हों।