श्रीमहंत देव्यागिरि ने सर्वकल्याण के लिए किया वट देवता का पूजन

  • मनकामेश्वर घाट उपवन में फूलों से अलंकृत वट देवता की सुहागिनों ने की परिक्रमा
  • मठ-मंदिर परिसर में महिला मंडली की ओर से भजन कीर्तन किया गया
  • श्रीमहंत देव्यागिरि ने दिया पर्यावरण के साथ सामन्जस्य स्थापित करने का संदेश
  • शनि जयंती पर मनकामेश्वर घाट उपवन में रोपित किया गया पीपल का पौधा

लखनऊ 10 जून। डालीगंज स्थित प्रतिष्ठित मनकामेश्वर मठ-मंदिर की श्रीमहंत देव्यागिरि ने गुरुवार 10 जून को वट सावित्री महा व्रत पर मनकामेश्वर घाट उपवन में वट देवता का पूजन कर सर्वकल्याण की कामना की। इस अवसर पर मंदिर परिसर में महिला मंडली की ओर से भजन कीर्तन भी किया गया।

गृहिणी के दृढ़निश्चय तप की महानता बताता है बरगदाही का महापर्व

श्रीमहंत देव्यागिरि ने कहा कि वट सावित्री का महा पर्व लोगों को कई संदेश देता है। यह सुहागिनों को संदेश देता है कि उनका तप किसी भी तरह से साधकों से कम नहीं है। इसलिए सावित्री ने अपने पति के प्राण तक यमराज से हासिल कर लिये थे। कहा जाता है कि राजर्षि अश्वपति की एकमात्र संतान सावित्री थी। उन्होंने वनवासी राजा द्युमत्सेन के पुत्र सत्यवान को अपने जीवनसाथी के रूप में चुना तब नारदमुनि ने उन्हें बताया कि सत्यवान की आयु बहुत कम है पर सावित्री अपना निर्णय नहीं बदला। वह राजवैभव त्याग कर सत्यवान के साथ उनके परिवार की सेवा करते हुए वन में रहने लगीं। महाप्रयाण के तीन दिन पहले से ही सावित्री ने व्रत रखना शुरू कर दिया था। जब यमराज, सत्यवान के प्राण हरकर जाने लगे तक सावित्री भी उकने पीछे-पीछे जाने लगीं। आखिरकार यमराज ने प्रसन्न होकर तीन वरदान दिये कि सत्यवान के दृष्टिहीन माता-पिता के नेत्रों की ज्योति आ जाए। उनका छिना हुआ राज्य वापस मिल जाए और उन्हें सौ पुत्रों की प्राप्ति हो। इसके साथ ही वट वृक्ष का पूजन लोगों को प्रकृति के साथ सामंजस्य स्थापित करने का संदेश देता है। प्राणवायु देने वाला बरगद का पेड़ कई बीमारियों का शमन करता है इसलिए इसका औषधिक महत्व भी है। साधकों के लिए बरगद का पेड़ चित को शांत करता है।

घाट पर सुहागिनों ने वट वक्ष की 12 परिक्रमाएं की

सुबह से ही उत्साहित महिलाएं सोलह श्रंगार कर डालीगंज के मनकामेश्वर घाट उपवन परिसर में पहुंचने लगी थी। वहां उन्होंने सिंदूर, रोली, फूल, अक्षत, चना, मिठाई अर्पित कर विधि-विधान से पूजन किया। परिवार की उन्नति की कामना से विशेषतौर से खरबूजे की भेंट चढ़ायी गई। इसके साथ ही मौसमी फल भी भक्तों ने चढ़ाए। उसके बाद कच्चे सूत में हल्दी लगाकर उसे वट वक्ष के तने पर परिक्रमा करते हुए 12 बार लपेटा। मनकामेश्वर मठ मंदिर की श्रीमहंत देव्यागिरि ने बताया कि मान्यता है कि वट वृक्ष की जड़ों में ब्रह्मा, तने में विष्णु और पत्तों पर शिव का वास होता है।

करूँ गौरी पूजन तन मन धन से मेरे माथे सोहाग की लाली रहे

मनकामेश्वर मठ मंदिर में महिला मंडली ने करूँ गौरी पूजन तन मन धन से मेरे माथे सोहाग की लाली रहे जैसे भजनों को गाकर सदा सुहागिन रहने का आशीष मांगा वहीं ससुराल ही नहीं मायके की खुशहाली की भी कामना की गई। इस अवसर पर उपमा पाण्डेय, सुनीता चौहान, मालती शुक्ला, निशा चौहान, तुलसी पाण्डेय सहित अन्य महिलाएं उपस्थित रहीं।

शनि जयंती पर हुआ पीपल के पौधे का रोपण

महंत देव्यागिरि ने कहा कि गुरुवार को शनि जयंती के अवसर पर पीपल देव को पूजा जाता है। ऐसे में यह पर्व भी लोगों को प्रकृति से जुड़ने का महान संदेश देता है। इस अवसर पर मनकामेश्वर घाट उपवन परिसर में श्रीमहंत देव्यागिरि की अगुआई में पीपल के पौधे भी रोपित किये गए। सूर्य ग्रहण का प्रभाव लखनऊ में न होने के कारण मंदिर परिसर में दैनिक कार्य विधिविधान से हुए। प्रोटोकॉल के तहत ही पांच पांच करके भक्तों को मंदिर में प्रवेश दिया गया। श्रीमहंत देव्यागिरि ने लोगों को मास्क लगाने के साथ साथ वैक्सीन लगवाने के लिए भी प्रेरित किया।