व्यक्तित्व ही व्यक्ति की अस्मिता, जिनका कोई व्यक्तित्व नहीं! वह भी! क्या कोई व्यक्ति? बिन व्यक्तित्व के व्यक्ति धरती का बोझ, व्यक्ति ही व्यक्तित्व खोजें, ना पहचान सकें अपना रूप, कहते लोगों से फिरते, ना देखी तुमने मेरी सीरत, बिन व्यक्तित्व के व्यक्ति का ना करें एतबार, कर लिया तो पहुंच जाओगे हरद्वार, जनचेतना करे पुकार, सजग रहो तुम इनसे, चेतना के है सुविचार। बिन व्यक्तित्व के हे मानव! तुम हो अधूरे , उठो! जागो! पहचानो अपने को, खो दिया है तुमने पुरुषार्थ, दिखला दो! तुम आत्मबल, परिवर्तन करें ललकार, मचा है चारों ओर हाहाकार।
चेतना प्रकाश चितेरी, प्रयागराज, उत्तर प्रदेश।