इस जन्माष्टमी बनेंगे दुर्लभ संयोग, अष्टमीयुक्ता रोहिणी नक्षत्र और जयंती योग करेंगे सभी मनोरथ पूर्ण

इस जन्माष्टमी बनेंगे दुर्लभ संयोग अष्टमीयुक्ता रोहिणी नक्षत्र और जयंती योग करेंगे सभी मनोरथ पूर्ण।

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान श्री कृष्ण का जन्म भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रोहिणी नक्षत्र में मध्यरात्रि को 12 बजे रात मथुरा में हुआ था । भगवान कृष्ण के जन्मोत्सव के रूप में यह त्योहार हर साल पूरे देश में पूर्ण हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इस दिन भक्त व्रती रहकर पूरे नियम और संयम से भगवान की पूजा-अर्चन करते हैं।

निर्णय सिंधु के अनुसार रात्रि के समय में रोहिणी नक्षत्र में यदि अष्टमी तिथि मिल जाए तो श्रीकृष्ण जी के पूजन अर्चन करने से तीन जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं।

रोहिण्यां अर्धरात्रे च यदा कृष्णाष्टमी भवेत्।
तस्यांभ्यर्चनं शौरे: हन्ति पापं त्रिजन्मजम्।

हिंदू ग्रथों के अनुसार, कंस के बढ़ रहे अत्याचारों से मुक्ति दिलाने के लिए भगवान विष्णु ने जन्माष्टमी के दिन कृष्ण के रूप में आठवां अवतार लिया था। भाद्रपद माह की अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र के संयोग में हुआ था। आपको स्मरण होगा कि पिछले कुछ वर्षों में जन्माष्टमी तिथि को रात्रिकालीन में वृष का चंद्रमा तो व्याप्त रहता था परन्तु रोहिणी नक्षत्र का योग नहीं बन पाता था। परन्तु इस वर्ष जन्माष्टमी 6 सितम्बर, दिन बुधवार की रात को रोहिणी नक्षत्र और वृष का चंद्रमा दोनों का योग बनने जा रहा है।

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर इस बार दशकों बाद दुर्लभ संयोग बन रहा है। कृष्ण जन्माष्टमी पर इस दुर्लभ संयोग में पूजा का कई गुना फल मिलेगा । इस बार 6 सितंबर को कृष्ण जन्माष्टमी का महापर्व मनाया जाएगा। स्मार्त्त गृहस्थ वालों के लिए 6 सितंबर को और वैष्णवों के लिए 7 सितम्बर को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का व्रत प्रशस्त रहेगा।

सोमाह्णि बुधवासरे वा अष्टमी रोहिणी युता। जयन्ती सा समाख्याता सा लभ्या पुण्य संचयैः।। ( गौतमी तन्त्र)

प्रेतयोनिगतानां तु प्रेतत्वं नाशितं तु तैः।
यैः कृता श्रवणे ( भाद्रे ) मासि अष्टमी रोहिणियुता । किं पुनः बुधवारेण सोमेनापि विशेषत:।
किं पुनः नवमीयुक्ता कुलकोटयास्तु मुक्तिदा।। (पद्मपुराण)

अर्थात जिन्होंने श्रावण (भाद्रपद ) में रोहिणी, बुधवार या सोमवार युक्त अथवा कोटि-कुलों की मुक्ति देने वाली नवमीयुक्ता जन्माष्टमी का व्रत किया है वे प्रेतयोनि को प्राप्त हुए अपने पितरों को भी प्रेत योनि से मुक्त कर देते हैं। इस दिन अर्ध कालीन तिथि, रोहिणी नक्षत्र, वृष के चंद्रमा का दुर्लभ संयोग बन रहा है। ये दुर्लभ संयोग 30 वर्षों के बाद बन रहा है।

पहली बार ये तीनों संयोग एक साथ बन रहे हैं। इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग अहोरात्रि रहेगा। विजय मुहूर्त्त अपराह्न काल 02:25 से 03:16 (pm) तक रहने वाला है। जिस वर्ष रोहिणी नक्षत्र के साथ कृष्ण जन्माष्टमी आ जाए, ज्योतिष के ग्रन्थकार उसे जयंती योग कहते हैं। इस वर्ष जयंती योग के सुअवसर पर बुधवार पड़ रहा है। जिसके कारण यह योग अति उत्कृष्ट हो जाता है। इस रात्रि साधना करने से सिद्धियों में वृद्धि होती है। जिनके जन्म के संयोग मात्र से बंदी गृह के सभी बंधन स्वत: ही खुल गए, सभी पहरेदार घोर निद्रा में चले गए, मां यमुना जिनके चरण स्पर्श करने को आतुर हो उठी, उस भगवान श्री कृष्ण को सम्पूर्ण श्रृष्टि को मोह लेने वाला अवतार माना गया है। इसी कारण वश जन्माष्टमी की रात्रि को मोहरात्रि कहा गया है। इस रात में योगेश्वर श्रीकृष्ण का ध्यान, नाम अथवा मंत्र जपते हुए जगने से संसार की मोह-माया से आसक्ति हटती है।

जयंती योग में मनाई जाने वाली जन्माष्टमी का व्रत, भगवान बालकृष्ण या शालिग्राम शिला के अर्चना से कई गुना लाभ प्राप्त होता है। 6 सितंबर को भगवान श्री कृष्ण का 5259 वां जन्मोत्सव मनाया जाएगा।

भाद्रपद कृष्ण जन्माष्टमी तिथि प्रारम्भ – 06 सितंबर 2023 बुधवार दोपहर 03:38

भाद्रपद कृष्ण अष्टमी तिथि समाप्तिकाल – 07 सितंबर 2023 बृहस्पतिवार शाम 04:15

6 सितंबर 2023 – गृहस्थो को इस दिन जन्माष्टमी मनाना शुभ रहेगा। इस दिन रोहिणी नक्षत्र और रात्रि पूजा में पूजा का शुभ मुहूर्त भी बन रहा है। भगवान कृष्ण का जन्म अर्धरात्रि में ही हुआ था।

रोहिणी नक्षत्र शुरू- 06 सितंबर 2023, प्रातःकाल 09:20

रोहिणी नक्षत्र समाप्तिकाल – 07 सितंबर 2023, प्रातःकाल 10:25 तक

श्रीकृष्णजन्माष्टमी 2023 शुभ मुहूर्त

श्रीकृष्ण पूजा का समय –
6 सितंबर 2023,रात्रि 11:57
से 12:42 तक
पूजा अवधि – 46 मिनट
मध्यरात्रि का क्षण – 12:02

राज शर्मा (फलित ज्योतिष मर्मज्ञ)
आनी, कुल्लू, हिमाचल प्रदेश (भारत )