कहानी : अफ़वाह

उदयगिरी के राजा प्रताप सिंह बड़े न्यायप्रिय थे। उनके कार्यों के चर्चे दूर दूर तक थे। वे गरीबों की मदद के लिए हीरे मोती सोने की अशर्फियाँ दिया करते थे।  राज दरबार के पुरोहित गंगाप्रसाद से वे विशेष प्रभावित थे। घण्टों तक वे उनसे मन्त्रणा किया करते तभी कोई फैसला लेते थे। एक साल राज्य में अकाल पड़ गया। जनता अन्न के लिए त्राहि त्राहि करने लगी। राजा ने अपना आधा खजाना खाली कर दिया लेकिन राज्य से भूखमरी खत्म होने का नाम ही नहीं ले रही थी। राजा के महल के बाहर आदमी औरतों बच्चों की कतारें लगी थी।

राजा को जनता पर संदेह हुआ। वह बोले मैंने इन्हें सब कुछ दे दिया फिर भी भूखमरी । आखिर क्या वजह है। उन्होंने पुरोहित जी को बुलाकर पूरी समस्या बताई। पुरोहित जी ने राजा को आश्वासन दिया राजन चिन्ता न करो। विपत्ति के समय धैर्य से काम करना चाहिए। मैं चौबीस घण्टों में इसका हल ढूंढ लूँगा। राजा पुरोहित की बात सुन हैरान हो गए। राजा बोले पुरोहित जी ये परिहास का वक़्त नहीं है। पुरोहित बोले राजन मैं परिहास नहीं कर रहा। मुझ पर तनिक विश्वास कीजिये। राजा बोले ठीक है पुरोहित जी मैं चाहता हूँ हमारे राज्य में सब सुखी निरोगी व प्रसन्न रहे।
अगले दिन पुरोहित जनता के बीच भेष बदलकर पहुंचे। मजदुर बन गांव में गए। चबूतरी पर बैठ गांव वालों की बाते सुनी। गांव के लोग कह रहे थे ये राजा धन देता है। हम सब मिलकर अकाल की अफवाह उड़ाते हैं। धीरे धीरे राजा कंगाल हो जाएगा और हम मालामाल। सब राजा की हँसी उड़ा रहे थे। एक गांव के अकाल से राजा हिल गया। अब उसका खजाना खाली हो गया होगा।
पुरोहित को नया व्यक्ति देख गांव के लोग बोले तुम कहाँ से आये हो। यहां हमारे पास क्यों बैठे हो। मैं मजदूरी की तलाश में आया हूँ। मजदूरी मिल जाती तो अपना पेट भर लेता। गांव वाले बोले अरे अकाल पड़ा है तुझे मजदूरी की पड़ी है। सब हंसने लगे। पुरोहित वहां से चला गया।
अगले दिन पुरोहित राजा के दरबार मे पहुंचा । जाकर राजा से बोला राजन हमारे राज्य में कोई अकाल नहीं पड़ा है। मैं पास के गांव में भेष बदलकर गया। मैंने वहाँ आपके प्रति साजिश कर रहे लोगों की बात सुनी। वे धन के लालची लोग आपको कंगाल देखना चाहते हैं व खुद मालामाल होना चाहते हैं राजन। उन्होंने ही सभी गांवों में अकाल पड़ने की अफवाह फैलाई है।
गरीब जनता उनके बहकावे में आ गई राजन। आप आज के बाद आप कोई रसद व खजाने से कोई धन नहीं देना। आप सिपाहियों को भेजो। मैं उनका हुलिया बनाकर सिपाहियों को दे देता हूँ। उन सभी को कड़ी से कड़ी सजा दें राजन।
अगले दिन दरबार मे अपराधियों को कारावास की सजा दी। जनता में राजा ने एलान करा दिया कि सभी झूंठी अफवाहों से बचें। हमारे राज्य में धन धान्य अन्न पानी की कोई कमी नहीं है। लालच बुरी बला है।
पुरोहित जी ने राजा की आंखें खोल दी। फिर से उदयगिरी में जनता सुखपूर्वक रहने लगी।

राजेश कुमार शर्मा”पुरोहित”
कहानीकार
भवानीमंडी ,जिला- झालावाड़ राजस्थान