जन-गण-मन का अभिमान है ‘हिन्दी’

डॉ० पृथ्वीनाथ पाण्डेय

समग्र भारत का परिधान है हिन्दी,
राष्ट्रीय आन-बान औ’ शान है हिन्दी।
भाषाओं में है शीर्ष स्थान पर स्थित,
जीवन-मरण का आख्यान है हिन्दी।
आओ! करें नमन अपनी मातृभाषा को,
हमारे आचरण का संविधान है हिन्दी।
तुलसी-कबीर-मीराँ-रसखान-जायसी
कर्म-धर्म-मर्म का व्याख्यान है हिन्दी।
‘हिन्दी हैं हम’ को अपने हृदय में देखिए,
हमारे रक्त-गति में प्रवहमान है हिन्दी।
भाषा-विभेद पर विडम्बना है कुत्सित,
जन-गण-मन का अभिमान है हिन्दी।

(सर्वाधिकार सुरक्षित : डॉ० पृथ्वीनाथ पाण्डेय, प्रयागराज; २२ जून, २०१९ ईसवी)