तलाश…..

डॉ० पृथ्वीनाथ पाण्डेय-

डॉ० पृथ्वीनाथ पाण्डेय
(प्रख्यात भाषाविद्-समीक्षक)

मेरे दोस्त!
मुझे तलाश है
तुम्हारे 
मेरा न होकर भी
कुछ होने का |
हर तलाश
मुझे झुठला देती है;
स्वाभिमान को गिरवी रख
गले में विवशता की घण्टी लटका
बहलाती रहती है; बहकाती रहती है
और यही बहलाव-बहकाव
शुरुआत करती है—-
‘बिनब्याही’ यात्रा की
और मैं,
आत्मसम्मान को
खो सकने की बेचैनी में
अपने-आपको टटोलता जा रहा हूँ |
(सर्वाधिकार सुरक्षित : डॉ० पृथ्वीनाथ पाण्डेय; २१ नवम्बर, २०१७ ईसवी)