नगर में जल निकासी की व्यवस्था की खुली पोल

कछौना, हरदोई। नगर पंचायत कछौना पतसेनी में जलभराव एक विकराल दशकों से संकट बना हुआ है। जल निकासी की समुचित व्यवस्था न होने के कारण नगरवासी अधिकारियों/जनप्रतिनिधियों की उदासीनता का बड़ा गतिरोध झेल रहे है।

अभी तक सीवरेज व्यवस्था के लिए नगर पंचायत ने कोई पहल ही नहीं की है। खुली नालियों से ही दूषित पानी की निकासी होती है। नालियों के चोक होने पर दूषित पानी सड़कों व घरों में भर जाता है। नाली के गंदे पानी के जल भराव की समस्या से निजात के लिए सीवरेज की आवश्यकता है। नगर पंचायत द्वारा जल निकासी की समुचित व्यवस्था न किए जाने के कारण गाटा संख्या 1942 व 1952 में लगभग दो दशकों से हर समय जलभराव रहता है। जिससे किसानों को किसी फसल का लाभ नहीं मिल पाता है। यह खेत धीरे-धीरे तालाब होते जा रहे हैं। नगर पंचायत की लापरवाही के चलते उक्त भूमि के किसान भुखमरी के कगार पर हैं। नगर में अधिकांश जल निकासी खुली नालियों पर ही आधारित है। बजबजाती नालियां संक्रामक रोगों को भी जन्म देती हैं। नगर पंचायत द्वारा नालियों व नालों की सफाई कराई जाती है, लेकिन नालियों पर जगह-जगह अतिक्रमण के कारण सुचारू रूप से सफाई व्यवस्था में बाधा है। प्रमुख बड़े नाले अधूरे/क्षतिग्रस्त व पूरी तरह से अतिक्रमण की गिरफ्त में हैं। बरसात होते ही नगर के मोहल्ले नालों पर अतिक्रमण के कारण जलमग्न हो जाते हैं। जल निकासी की व्यवस्था सुदृढ़ न होने से बरसात के दिनों में काफी परेशानी होती है। घरों से निकलने वाला गंदा पानी नगर पंचायत के तालाबों में गिराया जाता है। इससे तालाब का पानी भी दूषित हो रहा है।

तालाब के किनारे बने भवनों के शौचालय का पाइप तालाब में ही गिरता है। शौचालय की गंदगी से तालाब का पानी जानवर भी नहीं पीते हैं। नगर पंचायत के तालाबों से जल निकासी हेतु कोई भी नाला या नाली न होने के कारण तालाबों में जलभराव रहता। तालाब भरने के पश्चात तालाब का पानी लोगों के घरों में प्रवेश कर जाता है। जिससे संक्रामक बीमारी फैलने की प्रबल संभावना बनी रहती। एक ज्वलंत समस्या को देखते हुए सभासद रंजीत राव ने अधिशासी अधिकारी को पत्र देकर नगर में सीवरेज व्यवस्था की मांग की है।

रिपोर्ट – पी०डी० गुप्ता