बहुत बारीक़ और चतुर-चालाक प्रवक्ता है, संबित पात्रा

‘आज तक’ का बेहद घटिया कार्यक्रम ‘हल्ला बोल’

— आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय

हमारे देश के समाचार-चैनलवालों ने अपने कार्यक्रमों के तरह-तरह के नाम रखे हैं; जैसे– ‘हल्ला बोल’, ‘महाभारत’, ‘हम तो पूछेंगे’ आदिक।

बेहद असभ्य और कुतार्किक प्रवक्ता है, संबित पात्रा। उसे ‘डोमकच’ पसन्द है। वह भारतीय जनता पार्टी का प्रवक्ता है; परन्तु ‘प्रवक्ता’ शब्द के अर्थ और उसकी अवधारणा के अनुसार वह प्रवक्ता नहीं, बल्कि निम्नस्तर का संवादविहीन व्यक्ति है। उसकी वास्तविकता उसके गृहनगर/राज्य गुजरात के लोग अच्छी तरह से जानते हैं, जहाँ पिछले चुनाव में उसे बुरी तरह से पराजय का सामना करना पड़ा था।

‘आज तक’ समाचार-चैनल पर आज (१ सितम्बर) प्रसारित कार्यक्रम ‘हल्ला बोल’ दिखाया जा रहा था। ‘चीन-विषय पर भारत की कूटनीतिक असफलता’ और ‘आर्थिक क्षेत्र में सरकार की विफलता’ पर बहस करने के लिए दो प्रवक्ताओं– संबित पात्रा (भारतीय जनता पार्टी) और सुप्रिया श्रीनेत (काँग्रेस पार्टी) को निमन्त्रित किया गया था। सबसे पहले अयोग्य और कुपात्र एंकर अंजना ओमकश्यप ने चीन और आर्थिक विषयों पर सरकार की असफलता पर वाचाल प्रवक्ता संबित पात्रा से जवाब देने के लिए कहा तब वह बेईमान हम-जैसे दर्शकों को छलते हुए, एक अर्थहीन और अप्रासंगिक कविता सुनाने लगा, जिसमें काँग्रेस को चीन का ‘मित्र’ बताया गया था, जैसी कि नरेन्द्र मोदी की भी फ़ित्रत रही है। उसके बाद सुप्रिया श्रीनेत ने भी एक कविता सुनायी थी, जो कि संबित पात्रा को उत्तर था। उसके बाद बेहद घटिया तरीक़े से संबित पात्रा संवादहीन हो चुका था और गड़े मुरदे उखाड़ने लगा, जैसे कि नरेन्द्र मोदी उखाड़ते आ रहे हैं। अपराह्न ६.१५ से आरम्भ कार्यक्रम घिनौनै “तू-तू-मैं-मैं” से आरम्भ होकर “तू-तू-मैं-मैं” पर ही समाप्त हो गया था। इस प्रकार दोनों विषय अनुत्तरित रहे। स्वयंभू मोदी-सरकार की चीनी-कूटनीतिक सम्बन्ध और आर्थिक विफलता के विषय संबित पात्रा दबाकर चला गया।

विपक्षी प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने विषय के सन्दर्भ में जब बताया– मेरे परिवार के लोग सेना में हैं तब विवादास्पद सत्तापक्ष का प्रवक्ता संबित पात्रा उछल पड़ा और बोलने लगा, ” परिवार के लोग सेना में कैसे आ गये? यह तो ग़ैर-क़ानूनी है।” उस जड़बुद्धिवाले व्यक्ति को ये सब कहने की आवश्यकता क्यों आ पड़ी? वह अपनी असमर्थता को छिपाते हुए, काँग्रेसी इतिहास को खँगालने लगा। काँग्रेस को चीन का समर्थक बताने लगा और मूल प्रश्नों से हटकर “तू-तू-मैं-मैं” करने लगा था; वैयक्तिक आक्षेप करने लगा था। एक महिला के साथ कैसे संवाद किया जाता है, संबित पात्रा भूल चुका था। अंजना ओमकश्यप को संबित का भी ‘बाप’ दिखनेवाला ‘समाजवादी पार्टी’ के मुस्लिम प्रवक्ता (मैं नाम विस्मृत कर रहा हूँ।) को बुलाना चाहिए था।

हमने हमेशा देखा है कि जब भी भारतीय जनता पार्टी की दु:खती रग पर हाथ रखा जाता है, संबित पात्रा बौखलाने लगता है।

संबित पात्रा आर्थिक समस्या पर बोलने से कतरा रहा था और ‘आज तक’ की विवादास्पद एंकर अंजना कश्यप में इतना साहस भी नहीं था कि संबित पात्रा को रोकती अथवा उसकी आवाज़ दबा देती। वह भी संबित पात्रा का पक्षधर दिख रही थी।

बहरहाल, कुल मिलाकर, ‘आज तक’ का ‘हल्ला बोल’ ठीक उसी तरह से सिद्ध हुआ, जिस तरह से कोई कीचड़भरे गड्ढे में बीचोबीच खड़ा होकर उसी कीचड़ में ढेला मार रहा हो। इसका सारा श्रेय एंकर ‘अंजना ओमकश्यप’ को जाता है, जो आयोजन को सन्तुलित करने में पूरी और बुरी तरह से असफल रही।

(सर्वाधिकार सुरक्षित– आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय, प्रयागराज; १ सितम्बर, २०२० ईसवी।)