जिन माता-पिता ने-
- एक लड़की होने के बाद दूसरे बच्चे के समय प्रसव से पूर्व शिशु के लिंग की जांच नहीं कराई।
- अपने लड़के और लड़कियों को एक ही विद्यालय और कोचिंग में पढ़ाया।
- लड़के और लड़की दोनों के लिए कपड़े एक ही दुकान, मॉल से खरीदे।
- बेटे और बेटी को उनकी रुचि के अनुसार पढ़ाई करवाई । बेटे को जमीन बेचकर, लोन लेकर और बिटिया के समय दहेज का बहाना नहीं बनाया।
- जिन्होंने बेटे के भोजन करने के पश्चात बिटिया को भोजन करने के लिए बाध्य नहीं किया ।
- बेटे को स्वतंत्रता दी तो बिटिया के पर भी नहीं कतरे। उसे भी उड़ान भरने दिया ।
और
- बेटे को हमेशा यह बताया कि जितना अधिकार उसका घर में है उससे राई भर भी कम बेटी का नहीं है। ऐसे सभी माता-पिता अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस की बधाई के हकदार हैं।
(विनय सिंह बैस)