कानपुर में ‘बजरंगदल’ का तालीबानी चेहरा!

★ आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय

क्या वे आतंकी नहीं हैं, जो कानपुर में ‘वरुण विहार’ में रहनेवाले ‘अफ़सार’ नामक एक मुस्लिम व्यक्ति को उसके घर से घसीट कर लाते हैं और रास्तेभर उसे मारते रहते हैं। उसे मारते-मारते जब थक जाते हैं तब उसे पुलिस को सौंप देते हैं। ख़ुद को बजरंगदल के कार्यकर्त्ता कहनेवाले आतंकी अफ़सार को पुलिस को सौंपने के बाद भी पुलिसकर्मियों के सामने उस पर हाथ उठाते हैं और पुलिसकर्मी नपुंसक दिखते हैं। उस व्यक्ति पर ‘जय श्री राम’ कहने के लिए दबाव बनाया जाता है; उसे मार-पीटकर गिरा दिया जाता है।

ये सभी कुकृत्य करने और करानेवाला गुण्डा दिलीप सिंह ख़ुद को बजरंगदल का नेता कहता है, जिसके उकसाने पर बजरंगदलवाले अपने आतंकी आचरण का परिचय देते हैं।
दरअस्ल, अफ़सार कानपुर में रहकर ऑटो रिक्शा चलाता है और उस पर धर्मान्तरण करने का आरोप लगाया जाता है। उसे उसकी पाँच साल की बेटी के सामने घसीट-घसीटकर मारा जाता है।

ऐसे में, थोड़ी देर के लिए यह मान भी लिया जाता है कि अफ़सार धर्मान्तरण करता है तो उसके उस अपराध के लिए थाना-कचहरी हैं। ऐसे में, बजरंगदल के कथित आतंकवादी अपने हाथों में क़ानून को कैसे ले लेते हैं?

थोड़ी देर के लिए मान लीजिए, यदि बजरंगदल के क्रूर नेता दिलीप सिंह और उसके अन्य गुण्डों की पहचानकर मुस्लिम-सम्प्रदाय के भी गुण्डे उनके घरों से घसीटकर बलभर मारते हुए, बीच सड़क पर पटककर उन्हें काट डालते हैं तो ‘साम्प्रदायिक दंगा’ का अवसर तो बन ही जाता है, इसलिए इस विषय पर आतंकी हमला करनेवाले कथित बजरंगी दल के नेता और उसके चमचों को अविलम्ब गिरिफ़्तार करना होगा, अन्यथा जनसामान्य का जीवन अस्त-व्यस्त हो सकता है।

(सर्वाधिकार सुरक्षित– आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय, प्रयागराज; १४ अगस्त, २०२१ ईसवी।)