सुप्रसिद्ध कवि और गीतकार गोपालदास नीरज हुए गोलोकवासी

कारवाँ गुजर गया गुबार देखते रहे जैसे कालजयी गीत के रचयिता सुप्रसिद्ध कवि और गीतकार गोपालदास नीरज का कल 19 जुलाई 2018 की शाम दिल्‍ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्‍थान – एम्‍स में निधन हो गया। 94 वर्षीय नीरज लम्‍बे समय से बीमार चल रहे थे। उन्‍होंने हिंदी फिल्‍मों के लिए भी अनेक गीत लिखे। उन्‍हें 1991 में पद्मश्री और 2007 में पद्मभूषण से सम्‍मानित किया गया था।

गोपालदास नीरज हिन्दी के प्रख्यात साहित्यकार, शिक्षक, कवि सम्मेलनों के मंचों की आत्मा एवं फ़िल्मों के गीत लेखक रहे हैं। वे पहले व्यक्ति थे जिन्हें शिक्षा और साहित्य के क्षेत्र में भारत सरकार ने दो-दो बार सम्मानित किया, पहले पद्म श्री से और उसके बाद पद्म भूषण से। यही नहीं, फ़िल्मों में सर्वश्रेष्ठ गीत लेखन के लिये उन्हें लगातार तीन बार फिल्म फेयर पुरस्कार भी मिला।

उनके जाने के बाद उनकी दो पंक्तियाँ याद आ रही हैं…

इतने बदनाम हुए हम तो इस ज़माने में, लगेंगी आपको सदियाँ हमें भुलाने में।

न पीने का सलीका न पिलाने का शऊर, ऐसे भी लोग चले आये हैं मयखाने में॥