योगीराज मे पत्रकार के साथ ये कैसा सलूक?

कहीं पत्रकार हरिश्याम बाजपेई सच लिखने की कीमत तो नहीं चुका रहे?

हरदोई। उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले में एक स्थानीय पत्रकार को निष्पक्ष पत्रकारिता के कारण अपना सब कुछ गवाना पड़ गया। योगीराज में यूपी पुलिस गुंडों का काम कर रही है, यही कारण है कि एक सत्ताधारी नेता के इशारे पर पुलिस ने हरदोई के पत्रकार हरिश्याम बाजपेई के विरुद्ध दलित उत्पीड़न व रेप का फर्जी केस दर्ज कर जेल भेजने की रूपरेखा तैयार कर ली।

पत्रकार का गुनाह ये था कि उसने विगत 02 मई को अपने प्रकाशित समाचार में हरदोई के मलिहामऊ में ग्राम समाज व पशुचर की हाइवे के किनारे स्थित करीब 100 बीघा भूमि कब्जाने का भंडाफोड़ किया था। प्रकाशित समाचार का सरकार ने संज्ञान लिया और जांच के आदेश कर दिए, जिसके बाद सत्ता की मलाई चाट रहे नेताजी को अपनी पोल खुलने का डर सताने लगा। पहले तो पत्रकार को मैनेज करने की पूरी कोशिश की, पर सफल न होने पर पत्रकार हरिश्याम बाजपेई के विरुद्ध एक पेशेवर महिला का सहारा लेते हुए 07 जून 2022 को थाना कोतवाली शहर में रेप व दलित उत्पीड़न का फर्जी केस दर्ज करा दिया। नेता जी के इशारे पर पुलिस ने भी पत्रकार को हर हाल में जेल भेजने की तैयारी कर ली, और पीड़ित पत्रकार के साक्ष्यों को पूरी तरह नजरंदाज करते हुए जुलाई के शुरुआत में ही पत्रकार के अस्थाई व मूल निवास पर पुलिस ने कुर्की की नोटिस चस्पा कर दी। उच्च न्यायालय तक पत्रकार के विरुद्ध साजिश का सिलसिला जारी रहा, और पत्रकार की ओर से फर्जी हस्ताक्षर बनाकर बगैर साक्ष्यों के पिटीशन दाखिल करा दी गई।

शिकायत के बाद हाईकोर्ट की निगरानी में जांच चल रही है। इसी बीच 15 सितंबर 2022 को पुलिस ने पत्रकार के आवास पर पहुंचकर घर का ताला तोड़कर समस्त सामान व वाहन आदि कुर्क कर लिया। योगीराज में एक निष्पक्ष पत्रकार के साथ ऐसा सलूक होने का सपना किसी पत्रकार ने नही देखा होगा। पीड़ित पत्रकार आज भी निष्पक्ष जांच की मांग कर रहा है, और योगी की पुलिस उसे नेस्तानाबूद करने में पूरे जी जान जुटी है। शायद यूपी में इसे ही सुशासन कहा जाता है, जहां सच लिखने वाले पत्रकारों का यही हाल होता है। पीड़ित पत्रकार ने उच्च न्यायालय से न्याय की गुहार लगाई है।