लॉकडाउन में युगल जोड़े ने लिए सात फेरे, सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुये सादगी से संपन्न हुआ विवाह

दीपक कुमार श्रीवास्तव-

कछौना (हरदोई)। देश में कोरोना के कहर के कारण लॉकडाउन लागू है। सरकार द्वारा लोगों से सोशल डिस्टेंसिंग बनाये रखने की अपील की गई है। इसके अलावा किसी भी तरह के आयोजन पर रोक लगाई हुई है। इस बीच देशभर में जहाँ कुछ लोग गैर जिम्मेदाराना तरीके से लॉकडाउन का उल्लंघन कर धज्जियाँ उड़ा रहे हैं, वहीं कुछ लोग लॉकडाउन के पालन की मिसाल भी कायम कर रहे हैं। एक ऐसा ही मामला हरदोई जिले में कछौना कोतवाली क्षेत्र के अंतर्गत कस्बा कछौना से सामने आया है। लॉकडाउन के बीच कस्बे में सरकार द्वारा जारी दिशा निर्देशों का पूर्ण पालन करते हुए एक वैवाहिक कार्यक्रम संपन्न हुआ। इस विवाह में न तो बैंड बाजा था और न ही बराती, वर-वधू पक्ष के चंद लोगों की मौजूदगी में सादगी भरे रस्मो-रिवाज के बीच विवाह संपन्न हुआ।

प्राप्त जानकारी के अनुसार कस्बा कछौना के वार्ड नंबर 12 पूर्वी बाजार निवासी सर्वेश तिवारी की पुत्री कोमल तिवारी और लखनऊ निवासी विद्यावती बाजपेई के पुत्र हर्ष बाजपेई का विवाह तय हुआ था। तैयारियां चल ही रही थीं और इस बीच में कोरोना संक्रमण शुरू हो गया। संक्रमण के डर और प्रशासन की सख्ती को ध्यान में रखकर शादी की तैयारियां बीच में ही रोक दी गई। दोनों परिवारों ने आपसी सहमति से सभी कार्यक्रम स्थगित कर सादगी पूर्ण तरीके से घर में ही विवाह का निर्णय लिया। बुधवार को बिना बैंड बाजा और बाराती के लखनऊ के रस्तोगी नगर से दूल्हे के साथ उसकी माता, भाई और तीन अन्य रिश्तेदार बारात लेकर कछौना पहुंचे। जहाँ दोनों पक्षों के कुल 10-12 लोगों की मौजूदगी में पंडित द्वारा वैदिक मंत्रोच्चार के साथ पाणिग्रहण संस्कार की रस्म बेहद ही सादगीपूर्ण तरीके से संपन्न हुई। लॉकडाउन के नियमों का पालन करते हुए नव दंपति कोमल व हर्ष सात फेरों के बंधन में बंधे। विवाह के दौरान दुल्हन के माता-पिता, दूल्हा-दुल्हन तथा पंडितजी व अन्य सभी ने मुंह पर मास्क लगा रखा था।

फिलहाल एक बात तो साफ है कि देश भले ही कोरोना के संक्रमण से गुजर रहा हो, मगर इस दौरान देश में बिना चमक-दमक और अनावश्यक खर्चों के परिवार के सीमित लोगों के बीच हो रही शादियों से एक नई सामाजिक परंपरा को बल मिला है। अब देखना यह है कि कोरोना संक्रमण के खतरे से उबरने के बाद क्या देश के लोग दिखावे की परंपरा को छोड़कर इस नई वैवाहिक परंपरा को आगे बढ़ाएंगे या कोरोना के जाते ही मजबूरन अपनाई जा रही इस नई परंपरा का भी अंत हो जाएगा।