विशेष, रणनीतिक, वैश्विक ये तीन शब्द भारत-जापान साझेदारी को परिभाषित करने वाले हैं : प्रधानमंत्री मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 24 मई को क्वाड नेताओं के साथ शिखर बैठक में शरीक होने के लिए दो दिवसीय टोक्यो दौरे पर हैं। वहीं इससे पहले जापानी भाषा के एक अग्रणी अखबार योमियुरी शिम्बुन में सोमवार को उनका एक लेख प्रकाशित हुआ, जिसमें उन्होंने कहा कि भारत और जापान मुक्त, खुले और समावेशी हिंद-प्रशांत क्षेत्र के निर्माण में योगदान देंगे, जहां सुरक्षित समुद्र हो, व्यापार तथा निवेश की अनुकूलताएं हों, जहां संप्रभुत्ता तथा क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान हो और जो अंतरराष्ट्रीय कानून का पालन करता हो।

जापानी अखबार में मोदी ने लिखा लेख, कहा- भारत और जापान मुक्त, खुले और समावेशी हिंद-प्रशांत क्षेत्र के निर्माण में योगदान देंगे।

प्रधानमंत्री के लेख का शीर्षक ‘भारत-जापान शांति, स्थिरता और समृद्धि के लिए एक साझेदारी है। लेख में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि बोधिसेना से लेकर स्वामी विवेकानंद तक, भारत-जापान सांस्कृतिक संबंधों का परस्पर सम्मान और एक दूसरे से सीखने का एक लंबा और समृद्ध इतिहास रहा है। महात्मा गांधी की कीमती निजी संपत्तियों में मिज़ारू, किकाज़ारू और इवाज़ारू, तीन बुद्धिमान बंदरों की छोटी मूर्तियां थीं। जस्टिस राधा बिनोद पाल जापान में एक जाना-पहचाना नाम है और गुरुदेव टैगोर की जापान के लिए प्रशंसा और ओकाकुरा तेनशिन के साथ बातचीत दोनों पक्षों के कलाकारों और बुद्धिजीवियों के बीच शुरुआती संबंध बनाने में सहायक थी।

अपने लेख में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि इन गहरे संबंधों ने एक आधुनिक भारत-जापान साझेदारी के लिए एक मजबूत नींव रखी जो औपचारिक राजनयिक संबंधों की स्थापना की 70वीं वर्षगांठ मनाने के बावजूद फल-फूल रही है। उन्होंने बताया कि मेरा खुद का विश्वास गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में मेरे शुरुआती दिनों में ही शुरू हो गया था। ये न केवल जापानी प्रौद्योगिकी और कौशल का परिष्कार था, बल्कि जापान के नेतृत्व और व्यवसायों की गंभीरता और दीर्घकालिक प्रतिबद्धता भी थी, जिसने जापान को गुजरात का पसंदीदा औद्योगिक भागीदार बनाया और अपनी स्थापना के बाद से वाइब्रेंट गुजरात शिखर सम्मेलन में सबसे प्रमुख उपस्थिति दर्ज की।

लेख में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा सामरिक रूप से हिंद-प्रशांत क्षेत्र में स्थित दो लोकतंत्र होने के नाते हम स्थिर एवं सुरक्षित क्षेत्र के अहम स्तंभ हो सकते हैं। इसलिए हमारी साझेदारी विभिन्न क्षेत्रों तक बढ़ रही है। हमारे रक्षा संबंध अभ्यासों तथा सूचना के आदान-प्रदान से रक्षा विनिर्माण तक तेजी से बढ़ रहे हैं। हम साइबर, अंतरिक्ष और अंतर-समुद्री क्षेत्रों में काफी कुछ कर रहे हैं। उन्होंने क्षेत्र में चीन के आक्रामक कदमों के लेकर कहा कि भारत और जापान मुक्त, खुले और समावेशी हिंद-प्रशांत क्षेत्र के निर्माण में योगदान देंगे, जहां सुरक्षित समुद्र हो, व्यापार तथा निवेश की अनुकूलताएं हों, जहां संप्रभुत्ता तथा क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान हो और जो अंतरराष्ट्रीय कानून का पालन करता हो।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा क्षेत्र में तथा उसके अलावा क्वाड जैसे संस्थानों में एक जैसी विचारधारा वाले साझेदारों के साथ मिलकर हम सुरक्षा के अलावा विकास, बुनियादी ढांचे, कनेक्टिविटी, निरंतरता, स्वास्थ्य, टीकों, क्षमता निर्माण और मानवीय आपदा प्रतिक्रिया के लिए कई कदमों को बढ़ावा दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि हम अभ्यास और सूचना के आदान-प्रदान से लेकर रक्षा निर्माण तक हमारे रक्षा संबंध तेजी से बढ़ रहे हैं। हम साइबर, स्पेस और अंडरवाटर डोमेन में अधिक काम कर रहे हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि शांतिपूर्ण एवं समृद्ध हिंद-प्रशांत क्षेत्र पूरी दुनिया के बेहतर भविष्य के लिए अहम होगा।

लेख में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा विशेष, रणनीतिक, वैश्विक, भारत-जापान साझेदारी को परिभाषित करने वाले इन तीन शब्दों में से प्रत्येक का विशेष महत्व है, हालांकि ये हमारे संबंधों की असल क्षमता को बयां करने के लिए कम हैं। इस संबंध में उन्होंने ट्वीट किया भारत और जापान के बीच जीवंत संबंधों पर एक लेख लिखा है। हमारी साझेदारी शांति, स्थिरता और समृद्धि के लिए है। मैं 70 गौरवशाली वर्ष पूरे करने वाली हमारी विशेष मित्रता की जड़ें खोज रहा हूं।

(रिपोर्ट: शाश्वत तिवारी)