निर्लज्जता की पराकाष्ठा!

आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय

◆ आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय

इस समय देश की आर्थिक स्थिति बदतर हो चुकी है; परन्तु ‘न्यू इण्डिया की मोदी-सरकार’ पर इसका कहीं कोई असर होता दिख नहीं रहा है। सभी उत्पादों पर आये-दिन बेलगाम बढ़ोतरी (‘बढ़ोत्तरी’ अशुद्ध है।) की जा रही है और बेईमान समाचार-चैनलवाले पाकिस्तान, श्रीलंका आदिक देशों की आर्थिक दुरवस्था (‘दुरावस्था’ अशुद्ध है।) को चीख़-चीख़कर सुनाते-दिखाते आ रहे हैं; अपवादस्वरूप भारत की बरबाद होती आर्थिक स्थिति का वर्णन ‘न्यूज़ 24’ के संदीप चौधरी नियमित रूप से करते आ रहे हैं, जो बधाई के पात्र हैं।

निर्मला सीतारमण का कहना है :–
● रुपये से डॉलर की तुलना बन्द करें, जो ग़ुलामी का प्रतीक है।
● रुपया गिर नहीं रहा है; डॉलर लगातार मज़बूत हो रहा है।
● आर० बी० आइ० की कोशिश है, ज़्यादा उथल-पुथल न हो।
● डॉलर के आगे दूसरे देशों की भी मुद्राओं की यही हालत है।

■ धिक्कार है, निर्मला सीतारमण! आप वित्तमन्त्री के क़ाबिल बिलकुल नहीं हैं; इस्तीफ़ा दें। औसत देशवासियों के पास न तो रोज़गार है और न ही उनकी आर्थिक स्थिति अच्छी है।

(सर्वाधिकार सुरक्षित– आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय, प्रयागराज; २० अक्तूबर, २०२२ ईसवी।)