ज्ञान का सागर है, ‘स्वातन्त्र्य-समर मे इलाहाबाद का शंखनाद’– अरविन्द चौहान

तत्कालीन मण्डलायुक्त श्री संजय गोयल, जो अब शिलांग मे राजस्व-सचिव हैं, उन्होंने अपना संदेश भेजा था, “अमृत महोत्सव’ के अवसर पर स्वाधीनता-संग्राम मे अपना सर्वस्व न्योछावर करनेवाले अमर बलिदानियों के प्रति अपनी कृतज्ञता ज्ञापित करने के उद्देश्य से एक ऐसी पुस्तक-प्रकाशन करने की योजना बनी, जिसमे प्रयागराज का क्रान्तिकारी परिवेश पूर्णत: झलकता नज़र आये। मै अत्यन्त हर्षित हूँ कि हमे अपनी इस योजना के क्रियान्वयन् मे सफलता प्राप्त हुई है।”

“मैने इतनी चीज़ें पढ़ी हैं, उसके बाद भी जब इस पुस्तक को पढ़ा तब लगा, मुझे इलाहाबाद के बारे मे बहुत कुछ नहीं मालूम। ‘स्वातन्त्र्य-समर मे इलाहाबाद का शंखनाद’ ज्ञान का सागर है। यह पुस्तक तभी सार्थक होगी जब आप इसका भली-भाँति प्रचार-प्रसार करेंगे। मुझे मालूम है, एक पुस्तक लिखने के लिए कितना अध्ययन करना पड़ता है। इस पुस्तक का अनेक भाषाओं मे अनुवाद हो जाये तो इसकी उपयोगिता और महत्ता और बढ़ जायेगी।”

उपर्युक्त उद्बोधन ‘प्रयागराज विकास प्राधिकरण’, प्रयागराज के उपाध्यक्ष अरविन्द चौहान ने ७ नवम्बर को प्राधिकरण के ‘कॉन्फ्रेंस हॉल’ मे ‘स्वातन्त्र्य-समर मे इलाहाबाद का शंखनाद’ नामक क्रान्तिगाथात्मक कृति के लोकार्पण-समारोह मे मुख्य अतिथि के रूप मे किया था।

इससे पूर्व दीप-प्रज्वलन और सरस्वती की मूर्ति पर माल्यार्पण कर पी० डी० ए०-उपाध्यक्ष श्री अरविन्द चौहान, सचिव श्री अजित सिंह तथा सम्पादक आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय ने समारोह का उद्घाटन किया। उसके बाद मुख्य अतिथि ने बहुरंगी पुस्तक का लोकार्पण किया। सम्पादक आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय ने मुख्य अतिथि श्री अरविन्द चौहान और विशिष्ट अतिथि श्री अजीत सिंह को शॉल पहनाकर और स्मृतिचिह्न भेंटकर सम्पादकीय परिवार की ओर से सम्मान किया।

इसी अवसर पर पुस्तक मे सम्मिलित १६ लेखक-लेखिकाओं को शॉल, स्मृतिचिह्न तथा पुस्तक प्रदान कर, ‘क्रान्तिधर्मी सारस्वत सम्मान से आभूषित किया गया, जिनमे शामिल थे:– अमित राजपूत, डॉ० अनुपमा सिंह, डॉ० मुदिता तिवारी, डॉ० धारवेन्द्रप्रताप त्रिपाठी, डॉ० अर्चना सिंह, श्रीमती उर्वशी उपाध्याय, श्री अमरनाथ झा, श्री उदयनारायण सिंह, डॉ० पूर्णिमा मालवीय, डॉ० प्रदीप चित्रांशी, श्री आनन्दनारायण पाठक ‘अभिनव’, श्री अनवार अब्बास नक़वी, श्री मंसूर आलम ख़ाँ ‘मनियाँवी’, सुश्री कंजिका पाण्डेय तथा श्री ईश्वरशरण शुक्ल तथा आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय।

स्वतन्त्रता-सेनानी मो० लियाक़त अली के प्रपौत्र सय्यद क़ाज़ी नासिर को शॉल, प्रतीकचिह्न तथा पुस्तक भेंटकर सम्मान किया गया।

विशिष्ट अतिथि प्राधिकरण-सचिव श्री अजीत सिंह ने कहा, “एक विशेषीकृत पुस्तक का लेखन और सम्पादन कष्टसाध्य और श्रमसाध्य कार्य है। इस पुस्तक को अन्तिम रूप देने तक मे बहुत कठिनाइयाँ आती रहीं; परन्तु जिस जीवटता के साथ आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय लगे रहे, वह इस कृति का सकारात्मक पक्ष रहा। इस पुस्तक का एक-एक लेख प्रामाणिकता की कसौटी पर खरा उतरता दिख रहा है, जो शोधार्थियों के लिए अति सहायक सिद्ध हो सकता है।”

भाषाविज्ञानी और समीक्षक आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय ने कहा, “निस्सन्देह, यह पुस्तक इलाहाबाद के स्वाधीनता-आन्दोलन का एक जीवन्त दस्तावेज़ है। इस पुस्तक-प्रकाशन मे तत्कालीन मण्डलायुक्त श्री संजय गोयल की प्रमुख भूमिका रही है। हम यदि आज़ादी की लड़ाई से ‘इलाहाबाद’ को हटा दें तो ९० प्रतिशत का अभाव दिखेगा; क्योंकि यहाँ के ख़ुसरोबाग़, क़िला, स्वराजभवन तथा आनन्दभवन देश मे समग्र क्रान्ति के संवाहक रहे हैं।”

प्रसिद्ध स्वतन्त्रता-सेनानी मो० लियाक़त अली के प्रपौत्र ने कहा, लियाक़त साहिब को इलाहाबाद को दस दिनो के लिए आज़ादी दिलाने का श्रेय जाता है। वे १३ दिनो तक यहाँ के गवर्नर थे।”

आकाशवाणी और दूरदर्शन के निदेशक डॉ० लोकेश शुक्ल ने “हम एक थे; एक हैं; एक रहेंगे” क़ौमी तराना पेश किया।

अन्त मे, राष्ट्रगान-गायन के साथ समारोह का समापन हुआ। समारोह का प्रभावपूर्ण संचालन साहित्यकार-स्तम्भकार फ़तेहपुर से पधारे श्री अमित राजपूत ने किया।

इस अवसर पर रणविजय निषाद, बंशीधर मिश्र, विजयलक्ष्मी ‘विभा’, केशव सक्सेना, चेतनाप्रकाश ‘चितेरी’, अमन जायसवाल, गरिमा यादव, पवनेश चठारिया, विनीत द्विवेदी, महराजदीन पाण्डेय आदि की सहयोगी भूमिका रही।

सभागार साहित्यकार, कवियों, मीडियाकर्मियों तथा अन्य बुद्धिजीवियों की उपस्थिति से पूरी तरह से भरा हुआ था।