जब मन न माने……
महेेन्द्र महर्षि (सेवानिवृत्त वरिष्ठ अधिकारी, दूरदर्शन) जब फूलों की बहार आने लगी तो एक सुबह अपने ब्लाक के ऊपरी छज्जे पर मधुमक्खी का छत्ता नज़र आया। फिर तो रोज़ ही उसे देखना रूटीन बन गया। […]
महेेन्द्र महर्षि (सेवानिवृत्त वरिष्ठ अधिकारी, दूरदर्शन) जब फूलों की बहार आने लगी तो एक सुबह अपने ब्लाक के ऊपरी छज्जे पर मधुमक्खी का छत्ता नज़र आया। फिर तो रोज़ ही उसे देखना रूटीन बन गया। […]
महेन्द्र नाथ महर्षि (सेवा. नि. वरिष्ठ अधिकारी दूरदर्शन, दिल्ली), गुरुग्राम कस्बाई गलियों वाले जीवन में बड़ा सुकून परसा रहता था। दिन सुबह पौ फटने से शुरू होता और गली की गहमागहमी धीरे-धीरे बढ़ती। दूर मंदिर […]
महेन्द्र नाथ महर्षि (सेवा•नि• वरिष्ठ अधिकारी, दूरदर्शन), गुरुग्राम 2020 जनवरी के महीने में ठंड कुछ ज़्यादा पड़ी। मौसम बड़ा ही असामान्य (unpredictable) बना रहा। कभी घना कोहरा तो कभी धुंधला आसमान, बेवक्त की बौछार , […]
महेन्द्र नाथ महर्षि (से. नि. अ. दूरदर्शन दिल्ली)- नृत्य क्या है ? क्यों किया जाता है ? इसका जबाब अगर परिभाषा और परंपरा में लपेट कर देने की कोशिश की जाए तो मुश्किल है। सरल […]