प्रेमचन्द की कथा में सामाजिक यथार्थ : मत और सम्मत

August 1, 2021 0

प्रेमचंद के उपन्यासों में सामाजिक यथार्थ आज भी जीवित है ★डॉ० प्रदीप चित्रांशी (साहित्यकार, प्रयागराज) मुंशी प्रेमचंद ने बहुत सी कहानियाँ,उपन्यास लिखे जो आज भी प्रासंगिक हैं क्योंकि उन्होंने वास्तविक परिस्थितियों का वर्णन जितनी वास्तविकता […]

राष्ट्रीय स्तर की स्वास्थ्य, आर्थिक और सामाजिक संकटों के समाधान की पड़ताल

May 21, 2021 0

भविष्य के लिए सीख…….. शाश्वत तिवारी : लखनऊ: कोविड-19 महामारी 2020 की पहली तिमाही में पूरी दुनिया में फैल गई, जिससे वैश्विक जैव-सामाजिक-आर्थिक अव्यवस्था सामने आई। इस महामारी ने बेशुमार सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और रणनीतिक […]

संस्‍कृति किसी भी देश की सभ्‍यता की धड़कन और सामाजिक मूल्‍यों का प्रतीक

February 5, 2018 0

भारत की सांस्‍कृतिक विविधता के जरिये विश्‍व बंधुत्‍व के सिद्धांत को उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने प्रोत्‍साहित करने पर ज़ोर दिया है । कल नई दिल्‍ली के इंदिरा गांधी अंतर्राष्‍ट्रीय कला केंद्र में श्री नायडू […]