आइए! अति संक्षेप मे ‘उर्दू’ शब्द की वास्तविकता से अवगत हों

जो लोग उर्दू को भारत की भाषा मानते हैं, उन्हें पहले ‘उर्दू’ शब्द का अर्थ समझ लेना चाहिए और यह भी कि उर्दू की उत्पत्ति किस शब्द से होती है तथा उस शब्द का जन्मदाता देश कौन-सा है?

ज्ञातव्य है कि ‘उर्दू’ शब्द का अर्थ है, ‘फ़ौज (सेना) की छावनी’। उर्दू की उत्पत्ति ‘ओरदू’ शब्द से होती है, जो ‘तुर्की-भाषा’ का स्त्रीलिंग-शब्द है। इसका अर्थ ‘फ़ौज’ (सेना) है।

उल्लेखनीय है कि उर्दू का जिस लिपि मे लेखन किया गया है, वह ‘नस्तालिक़’ (फ़ारसी-अरबी का एक रूप) लिपि के नाम से जाना जाता है, जो कि पर्सियन लिपि है। इसप्रकार से पर्सियन लिपिवाले देश ईरान को इस भाषा को जन्मदेनेवाले के रूप मे श्रेय दिया जाना चाहिए। हमे स्मरण होना चाहिए कि ईरान को ‘आर्यन’, ‘एरान’ तथा ‘फ़ारस’ भी कहा जाता था।

अब यहाँ प्रश्न है– जब उर्दू-शब्द की उत्पत्ति भारत मे हुई ही नहीं तो यह किस आधार पर ‘भारतीय’ शब्द कहलायेगा? जब मुस्लिम शासक भारत मे अपने साथ तुर्की देश से सैनिक लाये थे तब दिल्ली और उसके आस-पास सेना की जितनी भी छावनियाँ थीं, उन्हें मुस्लिम शासक और उनके सैनिक आदिक ‘उर्दू’ कहा करते थे। उन दिनो शिक्षा, अदालत, स्वास्थ्य, जिला-प्रशासन, पुलिस-प्रशासन तथा शेष कार्यालयों, विभागों आदिक की मुख्य भाषा ‘अरबी-फ़ारसी-तुर्की’ इत्यादिक होती थीं।

यदि कोई यह कहता है कि उर्दू एक भाषा है तो उससे प्रश्न है– किसी भी उर्दू-शब्दकोश मे शब्दों की पहचान के लिए उसे ‘अरबी’,’फ़ारसी’, ‘तुर्की’, ‘पश्तो’ इत्यादिक भाषाओं का शब्द बताया जाता है; किन्तु ‘उर्दू’ का नहीं; ऐसा क्यों?

(मै निकट भविष्य मे ‘उर्दू का विस्तृत एवं प्रामाणिक (‘प्रमाणिक’ अशुद्ध शब्द है।) इतिहास’ लिखूँगा।)

(सर्वाधिकार सुरक्षित– आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय, प्रयागराज।)