4Q’s PQ/IQ/EQ/SQ पर आधारित प्रशिक्षण एवं परीक्षण की अनिवार्यता हो लागू

प्रश्न:-
देश की पुलिस चोर, गुंडे, बड़े-बड़े गुनहगारों को काबू करने के बजाय उनका उपयोग करके केवल सामान्य जनता पर अन्याय/अत्याचार करती है!
ऐसा क्यों है…?

उत्तर:-
ऐसा इसलिए है क्योंकि वर्तमान केंद्र व राज्यों की शासनव्यवस्था अपात्र/कुपात्र है।

स्थाई समाधान:-
अविलंब कर्मचारी चयन आयोग द्वारा मानवजीवनविकास (ह्युमन लाइफ डेवलपमेंट) के चारों आयामों (फोर डाईमेंशंस) 4Q’s (PQ/IQ/EQ/SQ) पर आधारित प्रशिक्षण एवं परीक्षण की अनिवार्यता लागू हो।

तत्पश्चात पात्रतानुसार सार्वजनिक कर्म-पद-सम्पदाओं के स्वामित्व (PQ की पात्रता वाले को खेती/बागबानी/पशुपालन आधारित कृषकपद का दायित्व, IQ की पात्रता वाले को व्यापार/व्यवसाय/उद्यम पर आधारित वणिकपद का दायित्व, EQ की पात्रता वाले को चपरासी से लेकर राष्ट्रपति पद से सम्बंधित राजकीयकर्मचारी पद का दायित्व एवं SQ की पात्रता वाले को पंच-सरपंच से लेकर प्रधानमंत्री पद अर्थात व्यवस्थागत नियम, नीति निर्णयों को बनाने वाले नेतृत्वपदों के दायित्व) का वितरण किया जाए।
चूँकि राष्ट्रीय/राज्यीय पुलिस का पद राजकीयकर्मचारी अर्थात मानवजीवनविकास के तृतीय आयाम EQ लेवल का है, जो पूर्णतः सेवाक्षेत्र से सम्बंधित है इसलिए जो कर्मचारी पचंदोष व पंचअपराधों से मुक्त होगा वही भावनात्मक क्षमता वाला सिद्ध हो सकता है इसलिए प्रस्तावित/प्रचारित व सामाजिक स्तर पर लागू किये जाने वाले इस अतिमहत्वपूर्ण प्रस्ताव को कानूनी तौर पर लागू करना अत्यंत आवश्यक है।

यदि यह कॉन्सेप्ट लागू होता है शासनसत्ता द्वारा शासनव्यवस्था को सुव्यवस्थित करने हेतु तब यह प्रश्न ऐसा क्यों है…?
स्वतः स्थाई रूप से समाप्त हो जाएगा।
इसके अलावा व्यक्तिगत, जातिवाद समुदायवाद, राष्ट्रवाद, राज्यवाद आरक्षण एवं अपात्रता से सम्बंधित सभी वाद भी पूर्णतः समाप्त होंगे…सभी अपने अपने अधिकारक्षेत्र में रहते हुए व्यवस्थागत दायित्वों का निर्वहन करेंगे।

नोट; उपरोक्त चारों कर्म-पद व सम्पदाओं के स्वामित्व का अधिकार व उससे संबंधित दायित्व एक वर्ष तक ही रहेगा।
तदुपरान्त प्रत्येक वर्ष के अंतिम माह में सार्वजनिक परीक्षण समारोह (सेल्फ असेसमेंट) में सम्मिलित होकर अगले वर्ष के लिए प्रमोशन/डिमोशन सुनिश्चित करना अनिवार्य होगा।

ताकि प्रत्येक कर्म-पद व सम्पदाओं के स्वामियों द्वारा पूर्व वर्ष में किये गए कार्यों का लेखा-जोखा सार्वजनिक होता रहे।

यही वास्तविक लोकतंत्र की अवधारणा भी कहती है व न्यायोचित भी है।

यदि ऐसा हुआ तो देश का प्रत्येक सार्वजनिक पदासीन व्यक्ति चाहे वो कृषक हो या व्यापारी, व्यवसाई, उद्यमी या फिर चपरासी से लेकर राष्ट्रपति या फिर पंच-सरपंच से लेकर प्रधानमंत्री इन सभी को पदों पर रहते दुरूपयोग से रोका जा सकता है।

राष्ट्र उत्थान हेतु
आवाज़ उठाइये, और असली लोकतंत्र स्थापित करिये।

।।शुभकामना।।

(राम गुप्ता, स्वतंत्र पत्रकार, नोएडा)