कोइली की बेटी

अमित धर्मसिंह


कोइली की बेटी बहुत जिद्दी थी।
गरीब थी, बीमार थी और भूखी भी,
फिर भी जी गयी कई दिन।
क्योंकि वह जीना चाहती थी
इसलिये माँग रही थी भात,
वही भात जिसे तुम्हारी नाक सूँघना तक नहीं चाहती,
मगर कोइली की बेटी के प्राण बसते थे उसी भात में,
अपने प्राणों के लिये लड़ रही थी कोइली की बेटी।
हाँ कोइली की बेटी लड़ाकू भी थी।
फोटो देखा उसका ? उसकी आँखों में
उनकी तस्वीर एकदम साफ़ दिखाई दे रही है
जिन्होंने उसके भात से दिवाली की मिठाई बना ली है।

उसकी सफ़ेद शर्ट बताती है कि
वह स्कूल जाती थी,
गर्दन वाला बटन बंद करके उसने
टाई के आने की भूमिका बनानी शुरू कर दी थी,
यहीं से बनता कोइली की बेटी का आधार,
इसी आधार पर कुछ बनना चाहती थी कोइली की बेटी,
बन भी जाती, और उनसे लड़ती भी
जिन्होंने उसके भात से बनायी थी
दिवाली की मिठाई।
जीतती भी कोइली की बेटी ही
इस बात को भात चुराने वाले भी जानते थे,
इसलिये उन्होंने नहीं दिया
कोइली की बेटी को भात,
उसके आधार को लिंक नहीं किया आधार कार्ड से,
वे बहुत डरे हुए थे
क्योंकि कोइली की बेटी बहुत जिद्दी थी,
बहुत लड़ाकू भी।।