शिक्षकों के सहयोग से शिक्षकों के लिए वरदान बनी टीचर सेल्फ केअर टीम (समिति)

राहुल पांडे

टीचर सेल्फ केअर टीम (समिति) एक रजिस्टर्ड संस्था है जो कि बेसिक शिक्षा परिषद प्रयागराज के अन्तर्गत संचालित विद्यालयों के शिक्षकों के परिवार को एक मजबूत सुरक्षा प्रदान करती है। संस्था का उद्देश्य व्यापक है, यह संस्था शिक्षा के क्षेत्र में समस्त संवर्ग को यह व्यवस्था उपलब्ध कराने के लिए कृतसंकल्पित है। अभी संस्था बेसिक शिक्षा परिषद के परिषदीय शिक्षकों, शिक्षामित्रों और अनुदेशकों पर कार्य कर रही है। यदि दुर्भाग्यवश किसी शिक्षक, शिक्षामित्र और अनुदेशक का निधन होता है तो यदि वह शिक्षक, शिक्षामित्र व अनुदेशक इस संस्था का सदस्य है तो संस्था के समस्त सदस्य उस शिक्षक के उत्तराधिकारी को आर्थिक सहयोग करते हैं। सरकार द्वारा जीपीएफ 1985 की व्यवस्था खत्म किये जाने के बाद यह संस्था शिक्षकों के लिए वरदान बनकर सामने आयी है।

आपने पूर्व में सुना होगा कि कई संस्थाएं अपने खाते में पैसा मंगाकर पीड़ित का सहयोग करती थीं जबकि टीचर सेल्फ केअर टीम शिक्षकों से सीधा पीड़ित परिवार के खाते में ही सहयोग करवाती है, जिससे भ्रष्टाचार का अवसर शून्य होता है। सभी शिक्षकों को इस संस्था से जुड़कर अपने उत्तराधिकारी को सुरक्षा देने का प्रयास करना चाहिए। अभी तक संस्था कई शिक्षक परिवारों का सहयोग कर चुकी है। अभी हाल में स्वर्गीय भारत लाल के परिवार को पंद्रह लाख रुपये से अधिक का सहयोग प्राप्त हो चुका है।

आप को विदित होना चाहिए कि मनोज कुमार सिंह मयंक टीचर सेल्फ केअर टीम के सदस्य नहीं थे इसके बावजूद भी संस्था के संस्थापक विवेकानंद ने उनके निधन के बाद शिक्षकों से उनकी पत्नी के खाते में सहयोग करने का निवेदन किया मगर वह सहयोग के लिए शिक्षकों को बाध्य नहीं कर सकते थे। मनोज कुमार मयंक की पत्नी को लगभग पांच लाख रुपये का ही सहयोग प्राप्त हुआ। यह सहयोग लगभग एक हजार शिक्षकों द्वारा किया गया था। जबकि किसी भी शिक्षक ने पांच सौ रुपये से कम का सहयोग नहीं किया था। मनोज कुमार मयंक ने 72825 भर्ती के लिए वाराणसी से दिल्ली तक की पगयात्रा की थी। मगर उनके परलोकगमन के बाद कोई उन्हें सहयोग नहीं करना चाहा।

भारत लाल जी अभी हाल ही में परलोकगमन कर गए लेकिन वह टीचर सेल्फ केअर टीम के सदस्य थे इसलिए उनकी धर्मपत्नी को पंद्रह लाख रुपये से अधिक का सहयोग प्राप्त हुआ। जबकि संस्था के हर सदस्य ने मात्र सौ-सौ रुपये का ही सहयोग किया था। विवेकानंद जी का प्रयास बेहद ही सराहनीय है। इस संस्था से जुड़कर शिक्षक अपने उत्तराधिकारी का भविष्य सुरक्षित कर सकते हैं।