बिना परमिशन धधक रही ईट-भट्ठों की चिमनियाँ

ईट-भट्ठों की सूची को गोपनीय रखकर जिला पंचायत के अफसर कर रहे वसूली

कौशांबी। दोआबा में दो दर्जन से अधिक ईट भट्ठों की चिमनियां बिना परमिशन धधक उठी है। बिना परमिशन धधक रही चिमनियां पर्यावरण को दूषित कर रही है। साथ ही सरकारी खजाने को भी लाखों का चूना लगा रही है। लेकिन जिला पंचायत के अफसर देखकर भी अनजान बन रहें है। साथ ही अपना टिकरा दूसरों के सर थोप रहे है।

जिले में लगभग सवा दो सौ ईट भट्ठे संचालित हो रहे है। इसमें दो तिहाई भट्ठे मानक विहीन है। साथ ही दर्जनों भट्ठों की रजिस्ट्रेशन ही नहीं हुआ है। इसके बावजूद भी ईट भट्ठा संचालकों ने पथाई कराकर झोकाई भी करा दी। लेकिन अवैध रूप से संचालित इन भट्ठों पर विभागीय अफसर कार्रवाई की जहमत नहीं उठा रहे है। इससे बेरोटोक ईट भट्ठे संचालित हो रहे है। आरोप है कि जिला पंचायत के अफसर व कर्मचारी अवैध रूप से संचालित ईट भट्ठों के संचालकों से इसके एवज में मोटी रकम वसूलते है। साथ ही पूरे वित्तीय वर्ष मामलें को टरकाते रहते है। अगर इस बीच कही कोई शिकायत हुई,या आला अफसरों का दबाव बना तो जुर्माना लगाकर भट्ठों का रजिस्ट्रेशन कर दिया जाता है। सूत्रों की माने तो प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड व एनजीटी के मानक में करीब 50 फीसदी भट्ठे मानक विहीन है। इसके बावजूद इनका रजिस्ट्रेशन किस आधार पर हो जाता है, इसकी गहनता से जांच हुई तो कई अफसरों की वसूली की पोल खुल सकती है।

ईट भट्ठों की सूची देने से क्यों कतराते है जिला पंचायत के अफसर?

जिला पंचायत के अफसर अपने कार्यालय में रजिस्टर्ड ईट भट्ठों की सूची देने से कतराते रहते है। लोगों के लगातार मांगने के बाद न तो कही चस्पा की जाती है, न ही किसी को दी जाती है।

सूत्रों की माने तो ईट भट्ठों की सूची इसलिए गोपनीय रखी जाती है। ताकि फर्जी तरीके से रहें ईट भट्ठों की किसी को भनक न लगे। साथ ही मोटी रकम वसूली जा सके। रखने को लेकर साथ ही सूची को का जिम्मा जिला पंचायत है।
जिला अधिकारी अनूप कुमार सिंह का कहना है कि ईट भट्ठों की शिकायत मिली है। जांच कराकर सम्बंधित जिम्मेदारों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।