
● आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय
मेरे समग्र अध्ययन का निष्कर्ष है कि ‘इण्डिया’ ने देश मे सर्वाधिक सीटोँ पर बहुत बड़े अन्तर से अग्रता ले रखी थी, जिससे कि निर्वाचन आयोग के अधिकारिओँ का साहस नहीँ हो पा रहा था कि सीटोँ के साथ पूरी तरह से छेड़ख़ानी कर सकेँ, फिर भी मनमानी करके प्रमुख लोग को जिताया गया है। शाम के समय मतगणना की प्रक्रिया बहुत धीमी करा दी गयी थी। मुझे तो लग रहा है कि नरेन्द्र मोदी भी हार रहे थे। दिल्ली की सभी सीटोँ पर भारतीय जनता पार्टी की जीत ने ‘असम्भव’ को ‘सम्भव’ कर दिखाया है, जो कि आगे चलकर ‘जाँच’ का विषय बन सकता है।
इसबार उत्तरप्रदेश मे हमारे घोर असंतुष्ट विद्यार्थिओँ ने पेपरलीक, परीक्षा मे धाँधली, महँगाई, बेरोज़गारी, असंतोष, लखनऊ मे राज्यभर से आये छात्रा-छात्रोँ-द्वारा अपनी न्यायोचित माँगोँ को लेकर शान्तिपूर्ण आन्दोलन, धरना-प्रदर्शन, आन्दोलन के विरुद्ध निर्दोष छात्र-छात्राओँ पर लाठी-चार्ज, छात्रावासोँ-लॉजोँ मे घुसकर पुलिसदल-द्वारा बुरी तरह से मारना, उनकी पठनीय सामग्री, कुर्सी-मेज आदिक को नष्ट करना आदिक को प्रमुख विषय बनाकर अपने ‘ब्रह्मास्त्र’ का प्रक्षेपण कर दिया था; परन्तु उसका उतना प्रभाव नहीँ दिखा जितना दिखना चाहिए था।
भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस को दहाई मे पहुँचना चाहिए था और ‘उत्तरप्रदेश के दोनो लड़कोँ’ को उत्तरप्रदेश मे ७० सीटेँ हासिल कर लेनी चाहिए थी। मुस्लिम, ईसाई, सिक्ख, जैन-बौद्ध, सुशिक्षितवर्ग, महिलाएँ, अनुसूचित जाति-जनजाति एवं पिछड़ा-वर्ग ने बहुत बड़ी संख्या मे भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस और समाजवादी दल के पक्ष मे मतदान किये थे; परन्तु जैसा परिणाम दिखना चाहिए था, दिखा नहीँ। यह अखिलेश यादव और राहुल गांधी के लिए चिन्ता करने का विषय है।
(सर्वाधिकार सुरक्षित– आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय, प्रयाग; ५ जून, २०२४ ईसवी।)