
चुनाव-चर्चा
● आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय
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इस लोकसभा-चुनाव के परिणाम ने बता दिया है कि लोकतन्त्र के साथ ग़द्दारी करनेवालोँ को वह बख़्शता नहीँ है। चुनाव-परिणाम आने से दो दिनो पहले से एजेँसियाँ जिस तरह से पूर्वानुमान के आधार पर चुनाव-परिणाम दिखा रही थीँ, वह निन्दनीय है।
सबसे पहले यह होना चाहिए कि जितनी भी एजेंसियाँ अनुमान के आधार पर चुनाव-परिणाम दिखा रही थीँ, उन सबको प्रतिबन्धित किया जाना चाहिए; क्योँकि उनके मालिक जनभावना के साथ खेलवाड़ करते आ रहे हैँ। इस बार के चुनाव-परिणाम ने उन सबके गालोँ पर भरपूर तमाचा मारा है। जिस समय उक्त एजेँसियाँ जिस तरह से सम्भावित चुनाव-परिणाम दिखा रही थीँ, लग रहा था कि वे एन० डी० ए० के एजेण्ट हैँ। बेशक, निर्वाचन आयोग की ओर से जिसतरह का चुनाव-परिणाम दिखाया गया है, वह उन सारी एजेंसियोँ के लिए एक सीख है।
थोड़ी-सी बात चुनाव-प्रचार के समय का करना प्रासंगिक होगा, जिसमे नरेन्द्र मोदी की अति आक्रामक और अभद्र प्रचार-स्तर की चर्चा होनी ही चाहिए; क्योँकि वे देश के प्रधानमन्त्री हैँ। इसका सीधा परिणाम और प्रभाव यह चुनाव-परिणाम बता रहा है। वर्ष २०१४ और २०१९ मे भारतीय जनता पार्टी बहुमत मे थी; परन्तु इसबार बहुमत से दूर रही; किसी दल को बहुमत नहीँ मिला। जिस अहंकार के साथ नरेन्द्र मोदी कहा करते थे– मोदी की गारण्टी– इस बार चार सौ के पार; चार जून को चार सौ के पार। विपक्षी गठबन्धन को अपने ही अन्दाज़ मे धमकाना– ये सारे कृत्य निन्दनीय रहे। उत्तरप्रदेश मे जिस परिश्रम के साथ राहुल गांधी और अखिलेश यादव चुनाव-प्रचार-प्रसार मे लगे रहे, उनको हतोत्साह करने के लिए उन्हेँ ‘उत्तरप्रदेश के दो लड़के’ और ‘शहजादे’ कहकर कटाक्ष करते आ रहे थे, उन्हीँ ‘दो लड़कोँ’ और ‘शहज़ादोँ’ ने उत्तरप्रदेश मे अप्रत्याशित रूप से पानी पिला दिया है। महँगाई, बेरोज़गारी, पेपर लीक, वादोँ से लगातार मुकरते रहना, हिन्दू-मुसल्मान, नारी-यातना, नाना प्रकार के अपराध, बाबा का बुल्डोज़र आदिक कृत्य उत्तरप्रदेश मे डुबो दिया। ‘राममन्दिर’, ‘रामायण के राम’, ‘सनातन’ आदिक ट्रम्प कार्ड धराशायी हो गये। अयोध्या की सीट भी जनता ने छीन ली है।
भले एन० डी० ए० ने विशेष बहुमत प्राप्त कर लिया है फिर भी इण्डिया ने कड़ी टक्कर देते हुए, संसद मे एक सुदृढ़ विपक्ष की नीवँ रख दी है, जो कि लोकतन्त्र की विजय रही। जिस तरह से सांविधानिक संस्थाओँ और सरकारी तन्त्र का यथासम्भव दुरुपयोग किया गया था और उनके कृत्योँ से देश की जनता भयभीत होने लगी थी, उसका जवाब आजका चुनाव-परिणाम रहा है। ऐसा इसलिए कि यदि नरेन्द्र मोदी पुन: प्रधानमन्त्री बनाये जाते हैँ तो वास्तव मे, अब वे गठबन्धन के प्रधानमन्त्री कहलायेँगे, फिर वे उस स्तर तक मनमाना निर्णय नहीँ कर पायेँगे, जो अबतक करते आ रहे थे। यह स्थिति देश की जनता के लिए शुभमय संकेत है। ऐसा लग रहा था, हमारी आवाज़ कौन उठायेगा; क्योँकि हमारी आवाज़ जिस-जिस विपक्षी दल ने उठाये, उनके पीछे ई० डी०, सी० बी० आइ०, आइ० टी० डी० इत्यादिक सरकारी संस्थाओँ के अधिकारियोँ को लगा दिये जाते थे, जिसे हम अच्छी तरह से चुनावी माहौल मे देख लिया है।
इसी का दुष्परिणाम रहा है, वर्तमान चुनाव-परिणाम।
संविधान बदलने की बात करना, हिन्दू-मुसलमान करना, ओ० बी० सी०, एस० सी०-एस० टी० की सम्पत्ति छीनकर मुसल्मानो मे बाँट देना, महिलाओँ का मंगलसूत्र छीन लेना-जैसी ओछी बातोँ को जनता ने पकड़ लिया था, जिसका परिणाम रहा कि मोदी की पार्टी बुरी तरह से हारी है। ऐसे कृत्योँ से हर दल को सजग, सतर्क तथा सावधान रहना होगा।
इसबार का चुनाव-परिणाम इस रूप मे अप्रत्याशित दिख रहा था कि लगातार कई चरणो मे नरेन्द्र मोदी भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस के प्रत्याशी अजय राय से पीछे चल रहे थे; अचानक हज़ारोँ की संख्या मे आगे बढ़ गये, यह पचाने लायक़ बात नहीँ रही। अन्तत:, मोदी को १ लाख ५२ हज़ार ५१३ मत से जीता हुआ दिखा दिया गया, जबकि नरेन्द्र मोदी और उनके कार्यकर्त्ता १० लाख मत से जीतने की बात कर रहे थे; दूसरी ओर, गांधीनगर से मोदी के घनिष्ठ मित्र अमित शाह ७ लाख ४४७ हज़ार १६ मत से जीते हैँ। इतने अधिक मत से जीतना भी शाह को प्रधानमन्त्री-प्रत्याशी के रूप मे उपस्थित करता दिख रहा है।
खुले रूप से नरेन्द्र मोदी और अमित शाह को ताल ठोँककर लगातार चुनौती देनेवाली बंगाल की ममता बनर्जी ने अपने पराक्रम के सम्मुख मोदी को नतमस्तक कर दिया है। राजस्थान, हरियाणा तथा पंजाब मे भी भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस ने जिस तरह से बाज़ी पलट दी है, वह भारतीय जनता पार्टी के लिए एक सीख है। महाराष्ट्र मे नरेन्द्र मोदी और अमित शाह ने जिस तरह से साम-दाम-दण्ड-विभेद की चाल से ‘महाराष्ट्र विकास अघाड़ी’ को परेशान कर दिया था, उसने भी अपनी शक्ति दिखाकर मोदी-शाह की अस्ली औक़ात को ज़मीन पर ला दिया है।
वर्तमान स्थिति यह है कि सरकार गठन करने के लिए ‘इण्डिया’ के लिए अवसर है; लेकिन लगातार तीसरी बार प्रधानमन्त्री बनने का ख़्वाब देख रहे, पराजित दल भारतीय जनता पार्टी के प्रमुख नेता नरेन्द्र मोदी किसी भी क़ीमत पर प्रधानमन्त्री बनना चाहेँगे। यदि ऐसा हो गया तो, जिसकी पूरी सम्भावना दिख रही है, मोदी का पहले जैसा असंसदीय तेवर नहीँ दिखेगा। ४ जून, २०२४ ई० को ८.३९ संध्या के समय सार्वजनिक भाषण करते समय वह तेवर नहीँ दिख रहा था, जो दिखना चाहिए था। मोदी का चेहरा भी उतरा हुआ था।
(सर्वाधिकार सुरक्षित– आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय, प्रयागराज; ४ जून, २०२४ ईसवी।)